Saturday, 6 May 2017

हनुमान चालिसा भाग1 अर्थ सहित

श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित पार्ट-1 दोहा श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि। अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार। अर्थ- हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए। चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥1॥ अर्थ- श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति | राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥ अर्थ- हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं है। महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥ अर्थ- हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालों के साथी, सहायक है। कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥ अर्थ- आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं। हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥ अर्थ- आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है। शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥ ALSO READ श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित पार्ट-2 अर्थ- शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है। विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥ अर्थ- आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते है। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥ अर्थ- आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते है। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥ अर्थ- आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया। भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥ अर्थ- आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्‍देश्यों को सफल कराया। लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥ अर्थ- आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया। रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥ अर्थ- श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो। सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥13॥ अर्थ- श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद, सारद सहित अहीसा॥14॥ अर्थ- श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है। ALSO READ श्री हनुमान जयंन्ती व्रत कथा | Hanuman Jayanti Vrat Katha in Hindi जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥15॥ अर्थ- यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते। तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥ अर्थ- आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने। तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥ अर्थ – आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है। जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥ अर्थ – जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥ अर्थ – आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥ अर्थ – संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है। श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित पार्ट-2 अन्य उपयोगी आर्टिकल्स: श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa in Hindi)श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित पार्ट-2मंगल मूरति मारुतनंदन जय हनुमानHanuman Chalisaविजया एकादशी – क्या है इस एकादशी की व्रतकथा व पूजा विधिभगवान् श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थराम ना मिलेंगे हनुमान के बिनाएकमुखी रुद्राक्ष पहनने वाला नहीं होता गरीब“Krishna” A Divine Meaning TAGS: BENEFITS OF HANUMAN CHALISA, HANUMAN CHALISA CHOPAI, HANUMAN CHALISA DOHE ARTH, HANUMAN CHALISA HINDI ME, HANUMAN CHALISA IN HINDI, HANUMAN CHALISA KA ARTH, HANUMAN CHALISA KA MATLAB, HANUMAN CHALISA KE DOHE, हनुमान चालीसा अर्थ, हनुमान चालीसा का महत्व, हनुमान चालीसा के दोहे, हनुमान चालीसा के नियम, हनुमान चालीसा चौपाई हिंदी में, हनुमान चालीसा पाठ, हनुमान चालीसा हिंदी में Leave a Reply Your email address will not be published. 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हनुमान चालिसा अर्थ सहित

हनुमान चालीसा अर्थ सहित पार्ट-2 श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित पार्ट-1 हनुमान चालीसा अर्थ राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसा रे॥21॥ अर्थ- श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है। सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥ अर्थ- जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता। आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै॥23॥ अर्थ- आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते है। भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥ अर्थ- जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते। नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥ अर्थ- वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है। संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥ अर्थ- हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है। सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥ अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया। और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥ अर्थ- जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती। ALSO READ श्री हनुमान जयंन्ती व्रत कथा | Hanuman Jayanti Vrat Katha in Hindi चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥ अर्थ- चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है। साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥ अर्थ- हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है। अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥31॥ अर्थ- आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है। राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥ अर्थ- आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है। तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥ अर्थ- आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते है। अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥ अर्थ- अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे। और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥ अर्थ- हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती। संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥ अर्थ- हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है। ALSO READ About Hanuman Jayanti जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥ अर्थ- हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए। जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥ अर्थ- जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा। जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥ अर्थ- भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी। तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥40॥ अर्थ- हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए। पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सूरभूप॥ अर्थ- हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास अन्य उपयोगी आर्टिकल्स: श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa in Hindi)श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित पार्ट-1राम ना मिलेंगे हनुमान के बिनामंगल मूरति मारुतनंदन जय हनुमानअगर चाहिए ये लाभ तो रोजाना करे हनुमान चालीसा का पाठ।Hanuman ChalisaAbout Hanuman Jayantiचैत्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा व्रत | Chaitra Shukla Paksha Purnima Vratराम नवमी कथा (Ram Navami Katha in Hindi) TAGS: BENEFITS OF HANUMAN CHALISA, HANUMAN CHALISA CHOPAI, HANUMAN CHALISA DOHE ARTH, HANUMAN CHALISA HINDI ME, HANUMAN CHALISA IN HINDI, HANUMAN CHALISA KA ANUVAD, HANUMAN CHALISA KA ANUVAD IN HINDI, HANUMAN CHALISA KA ARTH, HANUMAN CHALISA KA MATLAB, HANUMAN CHALISA KE DOHE, हनुमान चालीसा अर्, हनुमान चालीसा का महत्व, हनुमान चालीसा के दोह, हनुमान चालीसा के नियम, हनुमान चालीसा चौपाई हिंदी में, हनुमान चालीसा पाठ, हनुमान चालीसा हिंदी में Leave a Reply Your email address will not be published. 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श्री शनि चालीसा अर्थासहित

Menu श्री शनि चालीसा ॥दोहा॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज। करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥ हे माता पार्वती के पुत्र भगवान श्री गणेश, आपकी जय हो। आप कल्याणकारी है, सब पर कृपा करने वाले हैं, दीन लोगों के दुख दुर कर उन्हें खुशहाल करें भगवन। हे भगवान श्री शनिदेव जी आपकी जय हो, हे प्रभु, हमारी प्रार्थना सुनें, हे रविपुत्र हम पर कृपा करें व भक्तजनों की लाज रखें। ॥चौपाई॥ जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥ चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥ परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥ कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिये माल मुक्तन मणि दमके॥ कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥ हे दयालु शनिदेव महाराज आपकी जय हो, आप सदा भक्तों के रक्षक हैं उनके पालनहार हैं। आप श्याम वर्णीय हैं व आपकी चार भुजाएं हैं। आपके मस्तक पर रतन जड़ित मुकुट आपकी शोभा को बढा रहा है। आपका बड़ा मस्तक आकर्षक है, आपकी दृष्टि टेढी रहती है ( शनिदेव को यह वरदान प्राप्त हुआ था कि जिस पर भी उनकी दृष्टि पड़ेगी उसका अनिष्ट होगा इसलिए आप हमेशा टेढी दृष्टि से देखते हैं ताकि आपकी सीधी दृष्टि से किसी का अहित न हो)। आपकी भृकुटी भी विकराल दिखाई देती है। आपके कानों में सोने के कुंडल चमचमा रहे हैं। आपकी छाती पर मोतियों व मणियों का हार आपकी आभा को और भी बढ़ा रहा है। आपके हाथों में गदा, त्रिशूल व कुठार हैं, जिनसे आप पल भर में शत्रुओं का संहार करते हैं। पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन॥ सौरी, मन्द, शनि, दशनामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥ जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं। रंकहुं राव करैं क्षण माहीं॥ पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥ पिंगल, कृष्ण, छाया नंदन, यम, कोणस्थ, रौद्र, दु:ख भंजन, सौरी, मंद, शनि ये आपके दस नाम हैं। हे सूर्यपुत्र आपको सब कार्यों की सफलता के लिए पूजा जाता है। क्योंकि जिस पर भी आप प्रसन्न होते हैं, कृपालु होते हैं वह क्षण भर में ही रंक से राजा बन जाता है। पहाड़ जैसी समस्या भी उसे घास के तिनके सी लगती है लेकिन जिस पर आप नाराज हो जांए तो छोटी सी समस्या भी पहाड़ बन जाती है। राज मिलत वन रामहिं दीन्हो। कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो॥ बनहूं में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चतुराई॥ लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥ रावण की गति मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥ दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥ नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥ हार नौलाखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥ भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥ विनय राग दीपक महँ कीन्हों। तब प्रसन्न प्रभु हवै सुख दीन्हों॥ हे प्रभु आपकी दशा के चलते ही तो राज के बदले भगवान श्री राम को भी वनवास मिला था। आपके प्रभाव से ही केकैयी ने ऐसा बुद्धि हीन निर्णय लिया। आपकी दशा के चलते ही वन में मायावी मृग के कपट को माता सीता पहचान न सकी और उनका हरण हुआ। उनकी सूझबूझ भी काम नहीं आयी। आपकी दशा से ही लक्ष्मण के प्राणों पर संकट आन खड़ा हुआ जिससे पूरे दल में हाहाकार मच गया था। आपके प्रभाव से ही रावण ने भी ऐसा बुद्धिहीन कृत्य किया व प्रभु श्री राम से शत्रुता बढाई। आपकी दृष्टि के कारण बजरंग बलि हनुमान का डंका पूरे विश्व में बजा व लंका तहस-नहस हुई। आपकी नाराजगी के कारण राजा विक्रमादित्य को जंगलों में भटकना पड़ा। उनके सामने हार को मोर के चित्र ने निगल लिया व उन पर हार चुराने के आरोप लगे। इसी नौलखे हार की चोरी के आरोप में उनके हाथ पैर तुड़वा दिये गये। आपकी दशा के चलते ही विक्रमादित्य को तेली के घर कोल्हू चलाना पड़ा। लेकिन जब दीपक राग में उन्होंनें प्रार्थना की तो आप प्रसन्न हुए व फिर से उन्हें सुख समृद्धि से संपन्न कर दिया। हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥ तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी-मीन कूद गई पानी॥ श्री शंकरहि गहयो जब जाई। पार्वती को सती कराई॥ तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥ पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रोपदी होति उधारी॥ कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥ रवि कहं मुख महं धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥ शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ई॥ आपकी दशा पड़ने पर राजा हरिश्चंद्र की स्त्री तक बिक गई, स्वयं को भी डोम के घर पर पानी भरना पड़ा। उसी प्रकार राजा नल व रानी दयमंती को भी कष्ट उठाने पड़े, आपकी दशा के चलते भूनी हुई मछली तक वापस जल में कूद गई और राजा नल को भूखों मरना पड़ा। भगवान शंकर पर आपकी दशा पड़ी तो माता पार्वती को हवन कुंड में कूदकर अपनी जान देनी पड़ी। आपके कोप के कारण ही भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग होकर आकाश में उड़ गया। पांडवों पर जब आपकी दशा पड़ी तो द्रौपदी वस्त्रहीन होते होते बची। आपकी दशा से कौरवों की मति भी मारी गयी जिसके परिणाम में महाभारत का युद्ध हुआ। आपकी कुदृष्टि ने तो स्वयं अपने पिता सूर्यदेव को नहीं बख्शा व उन्हें अपने मुख में लेकर आप पाताल लोक में कूद गए। देवताओं की लाख विनती के बाद आपने सूर्यदेव को अपने मुख से आजाद किया। वाहन प्रभु के सात सुजाना। दिग्ज हय गर्दभ मृग स्वाना॥ जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥ गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै॥ गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥ जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥ जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥ तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा॥ लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥ समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी॥ हे प्रभु आपके सात वाहन हैं। हाथी, घोड़ा, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार और शेर जिस वाहन पर बैठकर आप आते हैं उसी प्रकार ज्योतिष आपके फल की गणना करता है। यदि आप हाथी पर सवार होकर आते हैं घर में लक्ष्मी आती है। यदि घोड़े पर बैठकर आते हैं तो सुख संपत्ति मिलती है। यदि गधा आपकी सवारी हो तो कई प्रकार के कार्यों में अड़चन आती है, वहीं जिसके यहां आप शेर पर सवार होकर आते हैं तो आप समाज में उसका रुतबा बढाते हैं, उसे प्रसिद्धि दिलाते हैं। वहीं सियार आपकी सवारी हो तो आपकी दशा से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है व यदि हिरण पर आप आते हैं तो शारीरिक व्याधियां लेकर आते हैं जो जानलेवा होती हैं। हे प्रभु जब भी कुत्ते की सवारी करते हुए आते हैं तो यह किसी बड़ी चोरी की और ईशारा करती है। इसी प्रकार आपके चरण भी सोना, चांदी, तांबा व लोहा आदि चार प्रकार की धातुओं के हैं। यदि आप लौहे के चरण पर आते हैं तो यह धन, जन या संपत्ति की हानि का संकेतक है। वहीं चांदी व तांबे के चरण पर आते हैं तो यह सामान्यत शुभ होता है, लेकिन जिनके यहां भी आप सोने के चरणों में पधारते हैं, उनके लिये हर लिहाज से सुखदायक व कल्याणकारी होते है। जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥ अदभुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥ जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥ पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥ कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥ जो भी इस शनि चरित्र को हर रोज गाएगा उसे आपके कोप का सामना नहीं करना पड़ेगा, आपकी दशा उसे नहीं सताएगी। उस पर भगवान शनिदेव महाराज अपनी अद्भुत लीला दिखाते हैं व उसके शत्रुओं को कमजोर कर देते हैं। जो कोई भी अच्छे सुयोग्य पंडित को बुलाकार विधि व नियम अनुसार शनि ग्रह को शांत करवाता है। शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष को जल देता है व दिया जलाता है उसे बहुत सुख मिलता है। प्रभु शनिदेव का दास रामसुंदर भी कहता है कि भगवान शनि के सुमिरन सुख की प्राप्ति होती है व अज्ञानता का अंधेरा मिटकर ज्ञान का प्रकाश होने लगता है। ॥दोहा॥ पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार। करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥ भगवान शनिदेव के इस पाठ को ‘विमल’ ने तैयार किया है जो भी इस चालीसा का चालीस दिन तक पाठ करता है शनिदेव की कृपा से वह भवसागर से पार हो जाता है। 21 WhatsApp16 0 1 1 0 1 अन्य चालीसा श्री हनुमान चालीसा श्री बजरंग बाण श्री गणेश चालीसा श्री शिव चालीसा श्री राम चालीसा श्री कृष्ण चालीसा श्री लक्ष्मी चालीसा श्री गायत्री चालीसा श्री तुलसी चालीसा श्री गंगा चालीसा श्री दुर्गा चालीसा श्री शनि चालीसा श्री सरस्वती चालीसा श्री साईं चालीसा श्री सूर्य देव चालीसा अन्य एस्ट्रो लेख मोहिनी एकादशी 2017 – व्रत कथा व पूजा विधि वैशाख मास को भी पुराणों में कार्तिक माह की तरह ही पावन बताया जाता है इसी कारण इस माह में पड़ने वाली एकादशी भी बहुत ही पुण्य फलदायी मानी जाती है। वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी के व्रत से व्रती मोह माया से ऊपर उठ जा... और पढ़ें... बुद्ध पूर्णिमा 2017 - महात्मा बुद्ध पूर्णिमा तिथि व मुहूर्त 2017 वैशाख मास की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है| इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है| कहते है इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी| जहां विश्वभर में बौध धर्म के करोड़ों अनुयायी और प्रचारक है व... और पढ़ें... वैशाख पूर्णिमा 2017 – सत्यविनायक पूर्णिमा व्रत व पूजा विधि वैशाख मास को बहुत ही पवित्र माह माना जाता है इस माह में आने वाले त्यौहार भी इस मायने में खास हैं। वैशाख मास की एकादशियां हों या अमावस्या सभी तिथियां पावन हैं लेकिन वैशाख पूर्णिमा का अपना महत्व माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा को महात्मा बुद्ध की जयंती के रूप म... और पढ़ें... 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दशरथ कृत शनी स्तोत्र

दशरथ कृत शनि स्तोत्र हिन्दी पद्य रूपान्तरण हे श्यामवर्णवाले, हे नील कण्ठ वाले। कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले।। स्वीकारो नमन मेरे, शनिदेव हम तुम्हारे। सच्चे सुकर्म वाले हैं, मन से हो तुम हमारे।। स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।। हे दाढ़ी-मूछों वाले, लम्बी जटायें पाले। हे दीर्घ नेत्र वालेे, शुष्कोदरा निराले।। भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे। स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।। हे पुष्ट देहधारी, स्थूल-रोम वाले। कोटर सुनेत्र वाले, हे बज्र देह वाले।। तुम ही सुयश दिलाते, सौभाग्य के सितारे। स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।। हे घोर रौद्र रूपा, भीषण कपालि भूपा। हे नमन सर्वभक्षी बलिमुख शनी अनूपा ।। हे भक्तों के सहारे, शनि! सब हवाले तेरे। हैं पूज्य चरण तेरे। स्वीकारो नमन मेरे।। हे सूर्य-सुत तपस्वी, भास्कर के भय मनस्वी। हे अधो दृष्टि वाले, हे विश्वमय यशस्वी।। विश्वास श्रद्धा अर्पित सब कुछ तू ही निभाले। स्वीकारो नमन मेरे। हे पूज्य देव मेरे।। अतितेज खड्गधारी, हे मन्दगति सुप्यारी। तप-दग्ध-देहधारी, नित योगरत अपारी।। संकट विकट हटा दे, हे महातेज वाले। स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे।। नितप्रियसुधा में रत हो, अतृप्ति में निरत हो। हो पूज्यतम जगत में, अत्यंत करुणा नत हो।। हे ज्ञान नेत्र वाले, पावन प्रकाश वाले। स्वीकारो भजन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे।। जिस पर प्रसन्न दृष्टि, वैभव सुयश की वृष्टि। वह जग का राज्य पाये, सम्राट तक कहाये।। उत्तम स्वभाव वाले, तुमसे तिमिर उजाले। स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।। हो वक्र दृष्टि जिसपै, तत्क्षण विनष्ट होता। मिट जाती राज्यसत्ता, हो के भिखारी रोता।। डूबे न भक्त-नैय्या पतवार दे बचा ले। स्वीकारो नमन मेरे। शनि पूज्य चरण तेरे।। हो मूलनाश उनका, दुर्बुद्धि होती जिन पर। हो देव असुर मानव, हो सिद्ध या विद्याधर।। देकर प्रसन्नता प्रभु अपने चरण लगा ले। स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे।। होकर प्रसन्न हे प्रभु! वरदान यही दीजै। बजरंग भक्त गण को दुनिया में अभय कीजै।। सारे ग्रहों के स्वामी अपना विरद बचाले। स्वीकारो नमन मेरे। हैं पूज्य चरण तेरे।। Home :: Lord Shani :: Shani Sadhe Satti Dhaiya :: Shree Shanidham Trust :: Rashiphal :: Our Literature Pragya (E-paper) :: Photo - Gallery :: Video Gallery :: Janam Patri :: Pooja Material :: Contact Us News :: Disclaimer :: Terms & Condition :: Products

श्री शनी चालीसा

श्री शनि चालीसा ॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल । दीनन के दुःख दूर करि , कीजै नाथ निहाल ॥1॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु , सुनहु विनय महाराज । करहु कृपा हे रवि तनय , राखहु जन की लाज ॥2॥ जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥ चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै ॥ परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥ कुण्डल श्रवन चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमकै ॥ कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥ पिंगल, कृष्णो, छाया, नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन ॥ सौरी, मन्द शनी दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥ जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं । रंकहुं राव करैं क्षण माहीं ॥ पर्वतहू तृण होइ निहारत । तृणहू को पर्वत करि डारत ॥ राज मिलत वन रामहिं दीन्हयो । कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥ वनहुं में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चुराई ॥ लषणहिं शक्ति विकल करिडारा । मचिगा दल में हाहाकारा ॥ रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥ दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका ॥ नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥ हार नौलखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी ॥ भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलहिं घर कोल्हू चलवायो ॥ विनय राग दीपक महँ कीन्हयों । तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥ हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी ॥ तैसे नल पर दशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी ॥ श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई । पारवती को सती कराई ॥ तनिक विकलोकत ही करि रीसा । नभ उड़ि गतो गौरिसुत सीसा ॥ पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रोपदी होति उधारी ॥ कौरव के भी गति मति मारयो । युद्ध महाभारत करि डारयो ॥ रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला ॥ शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥ वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥ जम्बुक सिह आदि नख धारी । सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥ गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै ॥ गर्दभ हानि करै बहु काजा । सिह सिद्ध्कर राज समाजा ॥ जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥ जब आवहिं स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी ॥ तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥ लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥ समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्वसुख मंगल भारी ॥ जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥ अद्भुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥ जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥ पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत ॥ कहत राम सुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥ ॥ दोहा ॥ पाठ शनिश्चर देव को, की हों 'भक्त' तैयार । करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥ ॥इति श्री शनि चालीसा॥

Thursday, 4 May 2017

दत्तगुरु भजन

प्रभात समयी आली दत्तगुरूंची फेरी
अलख निरंजन अलख निरंजन मंत्र मुग्ध
नगरी झाली मंत्र मुग्ध नगरी
पायी खडावा डमरू डमडम त्रिशूल खण खण
करी
दाही दिशातुनी नभा फाकली आसमंत
चंदेरी
प्रभात समयी आली दत्तगुरूंची फेरी .. !!
थरथरला थरथरला औदुंबर थरथरला येता दत्त
अवतारी
प्रभात समयी आली दत्तगुरूंची फेरी .. !!
रवी किरणांचे तेज पसरले अस्माकीत
तनुवरी
कमंडलातुनी ओमकाराचा नादब्रह्म भूवरी
आनंदाने नाचे तनमन दत्त दत्त गजरी जय जय
दत्त गजरी
प्रभात समयी आली दत्तगुरूंची फेरी .. !!
शुभ सकाल।

Tuesday, 2 May 2017

खोबरेल तेल

🤷🏻‍♂

*"कोकोनट ऑइल"*

गेली तीस वर्षे नारळाच्या खोबर्‍याला, खोबरेल तेलाला आरोग्यबाधक ठरवल्यावर त्याचे ग्रह पालटले आहेत. दिवसागणिक वाढत असलेल्या अल्झायमर या रोगावर जालीम उपाय म्हणून खोबरेल तेलाला आता महत्त्व आलेले आहे.

अमेरिकेत डॉक्टर पेशंटना टोस्टवर खोबरेल तेल लावून द्या असे सांगत आहेत. इतके दिवस आजूबाजूचा काहीही गंध नसलेली अल्झायमर पीडित जनता महिनाभराच्या टोस्टवरच्या खोबरेल तेलाने एकेकाळचे परिचित जग परत नव्याने ओळखायला लागलेली आहे. कोकोनट ऑइलचे भाग्य पालटायला डॉ. ब्रूस फाइफ याच्या रूपाने गॉडफादर लाभला.

अमेरिकेच्या र्‍होड आयलंड राज्यात राहणार्‍या या न्यूट्रिशयन शेजारी पॉल सोएर्स नावाचा फिलिपिनो माणूस होता. पॉल मिरॅकल ऑइल विकायचा. आजूबाजूची फिलिपिनो जनता काहीही झाले की त्याच्या दुकानात धावत यायची व तेल घेऊन जायची.

कुतुहल म्हणून ब्रूसने एके दिवशी पॉलला विचारणा केली. पॉल म्हणाला, थायलंड वा फिलिपाइन्स देशातून नारळ आणतो, नारळाच्या डोळ्यात खिळा घालून पाणी काढतो, मग तो हातोड्याने फोडतो, आतले खोबरे किसतो, ते पाण्यात उकळत ठेवतो, पाणी आटून वर राहते ते कोकोनट ऑइल. कसल्याही व्याधीवर उपचार म्हणून देतो.

डॉ. ब्रूस न्यूट्रिशनिस्ट असल्यामुळे त्याला प्रक्रिया न झालेल्या नैसर्गिक खाद्यपदार्थामध्ये रस होता खोबर्‍यातून तेल काढण्याची किचकट प्रक्रिया सोपी करायला ब्रूसने खूप मदत केली. पॉलला खोबरे वाटायला मिक्सर आणून दिला. खोबर्‍यातून तेल काढायला द्राक्षातून वाइन काढायचा प्रेस आणून दिला. आता तेल काढणे खूप सोपे झाले. पॉलच्या सांगण्यावरून काहीही दुखत असले की, ब्रूसने चमचाभर कोकोनट ऑइल तोंडाने घ्यायला सुरुवात केली. कापलेल्या खरचटलेल्या ठिकाणी कोकोनट ऑइल लावायला सुरुवात केली. ब्रूसचे वजन कमी झाले, त्याची त्वचा तुकतुकीत दिसायला लागली. जखम पटकन भरायला लागली. ब्रूसच्या आश्चर्याला पारावर उरला नाही.

इतके दिवस नारळाला का वाईट म्हणत होते याबद्दल त्याने खोलात जाऊन तपास करायला सुरुवात केल्यावर त्याला आढळून आले की, सोयाबीन इंडस्ट्रीने जगात पाय रोवण्यासाठी मुद्दाम खोबर्‍याविरुद्ध अपप्रचार करायला सुरुवात केली होती. सगळे जण हार्ट अटॅकला घाबरतात. खोबरेल तेलात स्निग्धांश जास्त असतात व त्याने हार्ट अटॅक येतो, पण सोयाबीनचे पदार्थ खाल्ले तर हृदयविकार कमी होतात असा खोटा प्रचार सुरू केला. झाले. घाबरट लोकांनी हा रिपोर्ट वाचल्यावर नारळाचे पदार्थ खाणे कमी केले. चाणाक्ष सोयाबीन इंडस्ट्रीने स्वत:चे घोडे पुढे दामटले.

ब्रूसने नारळ वापरत असलेल्या देशात जाऊन खोबरेल तेलावर संशोधन केले. खोबर्‍यात असतात ते Medium chain fatty acids जे शरीराला हितकारक असतात. थायलंड,इंडोनेशिया, फिलिपाइन्स, पॉलिनेशियन देश खोबर्‍यावर जगतात. त्यांच्यात हार्ट अटॅकचे प्रमाण जगापेक्षा खूप कमी आहे. ब्रूसने शोधाअंती खोबर्‍यामुळे हार्ट अटॅक येत नाही असे विधान केले.

१९९९साली त्याने Coconut Oil miracle या नावाचे पुस्तक स्वत:च प्रसिद्ध केले. ते वाचून डॉ. मेरी न्यूपोर्ट हिने २००८ साली अल्झायमरच्या रोग्यांमध्ये कोकोनट ऑइलचा उपयोग करून पाहिला. फरक बघून तीदेखील चकीत झाली. इंटरनेटमुळे तो रिपोर्ट जगभर पसरला.

यू ट्यूबवर डॉक्टर हेल्दी फूडसाठी नारळाचे दूध कसे बिनधास्तपणे वापरावे याच्या रोज नव्या रेसिपीज देतात.

माझ्या आजीच्या बटव्यात जगातल्या सगळ्या व्याधींवर अक्सर इलाज म्हणून एकच औषध होते ते म्हणजे खोबरेल तेल. परीक्षा आली की डोकं थंड राहावे म्हणून ती माझ्या डोक्यावर खोबरेल तेल थापटायची, केस काळे राहावेत म्हणून आंघोळीच्या आधी डोक्याला खोबरल तेलाचा मसाज करायची, कातडी चरबरीत होऊ नये म्हणून अंगाला खोबरेल तेल चोळायची, कान दुखला तर कानात गरम खोबरेल तेलाची धार सोडायची. सर्दी झाली, डोके खाली करून नाकात गरम खोबरेल तेलाचे थेंब घालायची. ती जेव्हा ९५ व्या वर्षी गेली तेव्हा डोक्यावरचे सगळे केस शाबूत होते व काळे होते.

सध्या माझी हॉर्वर्ड विद्यापीठातली हुशार मुलगी अदिती नियमितपणे खोबरेल तेल वापरते. पणजी सारखे डोक्याला अंगाला तर लावतेच, पण ब्रूसने सांगितल्याप्रमाणे रोज तीन चमचे तेल पिते. खोबरेल तेलात जेवण करते. खोबरेल तेलावर वाढूनही मी त्याचा वापर थांबवला म्हणून माझी कीव करते. कोकोनट गुरू डॉ. ब्रूसच्या अथक प्रयत्नांनी अमेरिकेतही कोकोनट ऑईल खूप लोकप्रिय होत आहे. आता मी ही न बिचकता वाटी वाटी सोलकढी पिते. आमट्या, उसळी, कालवणांना नारळाचे वाटण घालते. कोकोनट ऑइल अँटी एजिंग असल्याचे रोज नवनवे रिपोर्ट बाहेर येत आहेत.

डॉ. मीना नेरूरकर
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