Monday, 21 December 2015
गुरु ग्रह की पूजन विधि
बृहस्पति मंत्र के जप और पूजा से भाग्य के साथ ही विवाह संबंधी परेशानियां दूर हो सकती हैं। यहां जानिए गुरु ग्रह की सामान्य पूजन विधि और मंत्र...
गुरुवार को स्नान के बाद पीले कपड़े पहनें। नवग्रह मंदिर में गुरु बृहस्पति की मूर्ति को केसर मिले हुए दूध और पवित्र जल से स्नान कराएं। पीला चंदन, पीले फूल या माला, पीला वस्त्र, हल्दी से रंगी हुई पीली जनेऊ, पीले फल, हल्दी, पीला अन्न चढ़ाएं और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
गाय के दूध से बने हुए शुद्ध घी का दीपक जलाएं। धूप बत्ती लगाएं। पीले आसन पर बैठकर गुरु मंत्र का जप करें।
मंत्र-
जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित:
पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:।
सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे
सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।।
मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। मंत्र जप के बाद देवगुरु की आरती करें। गुरु ग्रह से संबंधित पीली चीजें जैसे पीली दाल, कपड़े, गुड़, सोना आदि का यथाशक्ति दान करें। हर गुरुवार को इस विधि से गुरु ग्रह की पूजा करनी चाहिए।
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