भगवान राम का अपने भक्त हनुमान से युद्ध भी हुआ था। गुरु विश्वामित्र के निर्देशानुसार भगवान राम को राजा ययाति को मारना था। राजा ययाति ने हनुमान से शरण मांगी। हनुमान ने राजा ययाति को वचन दे दिया। हनुमान ने किसी तरह के अस्त्र-शस्त्र से लड़ने के बजाए भगवान राम का नाम जपना शुरू कर दिया। राम ने जितने भी बाण चलाए सब बेअसर रहे। विश्वामित्र हनुमान की श्रद्धाभक्ति देखकर हैरान रह गए और भगवान राम को इस धर्मसंकट से मुक्ति दिलाई।
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