Tuesday, 19 January 2016

ओ माँझी रे अपना किनारा, नदिया की धारा है l

ओ माँझी रे, ओ माँझी रे अपना किनारा, नदियाँ की धारा है साहिलों पे बहनेवाले कभी सुना तो होगा कही कागजों की कश्तियों का कही किनारा होता नही ओ माँझी रे, माँझी रे कोई किनारा जो किनारे से मिले वो अपना किनारा है पानीयों में बह रहे हैं, कई किनारे टूटे हुये रासतों में मिल गये हैं सभी सहारे छूटे हुये ओ माँझी रे, ओ माँझी रे कोई सहारा मझधारे में मिले जो अपना सहारा है

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