Saturday, 13 August 2016

संकट से रक्षा के लिए कुछ विशिष्ठ प्रयोग

संकट से रक्षा के लिए कुछ विशिष्ट प्रयोग

१. भयंकर,आपति आने पर हनुमान जी का ध्यान करके रूद्राक्ष माला पर १०८ बार जप करने से कुछ ही दिनों में सब कुछ सामान्य हो जाता है।
मंत्र:-त्वमस्मिन् कार्य निर्वाहे प्रमाणं हरि सतम। तस्य चिन्तयतो यत्नों दुःख क्षय करो भवेत्॥
२. शत्रु,रोग हो या दरिद्रता,बंधन हो या भय निम्न मंत्र का जप बेजोड़ है,इनसे छुटकारा दिलाने में यह प्रयोग अनूभुत है।नित्य पाँच लौंग,सिनदुर,तुलसी पत्र के साथ अर्पण कर सामान्य मे एक माला,विशेष में पाँच या ग्यारह माला का जप करें।कार्य पूर्ण होने पर १०८बार,गूगूल,तिल धूप,गुड़ का हवन कर लें।आपद काल में मानसिक जप से भी संकट का निवारण होता है।
मंत्र:-मर्कटेश महोत्साह सर्व शोक विनाशनं,शत्रु संहार माम रक्ष श्रियम दापय में प्रभो॥
३. अनेकानेक रोग से भी लोग परेशान रहते है,इस कारण श्री हनुमान जी का तीव्र रोग हर मंत्र का जप करनें,जल,दवा अभिमंत्रित कर पीने से असाध्य रोग भी दूर होता है। तांबा के पात्र में जल भरकर सामने रख श्री हनुमान जी का ध्यान कर मंत्र जप कर जलपान करने से शीघ्र रोग दूर होता है।श्री हनुमान जी का सप्तमुखी ध्यान कर मंत्र जप करें।
मंत्र:-ॐ नमो भगवते सप्त वदनाय षष्ट गोमुखाय,सूर्य रुपाय सर्व रोग हराय मुक्तिदात्रे “को नहीं जानत जग में कपि सकंट मोचन नाम तिहारो ....”

कलियुग की शुरुआत होते ही सारे देवता इस भू लोक को छोड़ कर चले गए थे सिर्फ भैरव और हनुमान ही ऐसे देवता है जिन्होंने कलयुग में भू लोक पर निवास किआ ! इसलिए हनुमान लाला और भैरव महाराज दोनों की उपासना कलयुग में उत्तम फल प्रदान करती है जब भी ऐसी कोई समस्या हो आप किसी भी पात्र में जल ले ले और निम्न मंत्र से उसे अभिमंत्रित कर ले मतलब इसके दो तरीके हैं एक तो मंत्र जप करते समय अपने सीधे हाथ की एक अंगुली इस जल से स्पर्श कराये रखे या जितना आप को मंत्र जप करना हैं उतना कर ले और फिर पूरे श्रद्धा विस्वास से इस जल में एक फूंक मार दे .. यह मन में भावना रखते हुए की इस मंत्र की परम शक्ति अब जल में निहित हैं .. और यह सब मानने की बात नहीं हैं अनेको वैज्ञानिक परीक्षणों से यह सिद्ध भी हुआ हैं की निश्चय ही कुछ तो परिवर्तन उच्च उर्जा का जल में समावेश होता ही हैं .

मंत्र : ॐ नमो हनुमते पवन पुत्राय ,वैश्वानर मुखाय पाप दृष्टी ,घोर दृष्टी , हनुमदाज्ञा स्फुरेत स्वाहा ||
कम से कम १०८ बार मंत्र जप तो करे ही और इस अभिमंत्रित जल को जो भी पीड़ित हैं उ स पर छिडके .. उसे भगवान् हुनमान की कृपा से निश्चय ही लाभ होना शुरू हो जायेगा और जो भी इसे रोज करना चाहे उनके जीवन कि अनेको कठिनाई तो स्वत ही दूर होती जाएगी ..
तो आवश्यक सावधानी जो की हनुमान साधना में होती हैं वह करते हुए कर सकते हैं .. हनुमान जी के संकट-नाशक अनुष्ठान १॰ विनियोगः- ॐ अस्य श्री हनुमन्महामन्त्रस्य ईश्वर ऋषिः, गायत्री छन्दः, हनुमान देवता, हं बीजं, नमः शक्तिः, आञ्जनेयाय कीलकम् मम सर्व-प्रतिबन्धक-निवृत्ति-पूर्वकं हनुमत्प्रसाद-सिद्धयर्थे जपे विनियोगः । ऋष्यादिन्यासः- ईश्वर ऋषये नमः शिरसि, गायत्री छन्दसे नमः मुखे, हनुमान देवतायै नमः हृदि, हं बीजाय नमः नाभौ, नमः शक्तये नमः गुह्ये, आञ्जनेयाय कीलकाय नमः पादयो मम सर्व-प्रतिबन्धक-निवृत्ति-पूर्वकं हनुमत्प्रसाद-सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे । करन्यासः- ॐ ह्रां आञ्जनेयाय अंगुष्ठाभ्यां नमः, ॐ ह्रीं महाबलाय तर्जनीभ्यां नमः, ॐ ह्रूं शरणागत-रक्षकाय मध्यमाभ्यां नमः, ॐ ह्रैं श्री-राम-दूताय अनामिकाभ्यां नमः, ॐ ह्रौं हरिमर्कटाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः, ॐ ह्रः सीता-शोक-विनाशकाय करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः । हृदयादिन्यासः- ॐ ह्रां आञ्जनेयाय हृदयाय नमः, ॐ ह्रीं महाबलाय शिरसे स्वाहा, ॐ ह्रूं शरणागत-रक्षकाय शिखायै वषट्, ॐ ह्रैं श्री-राम-दूताय कवचाय हुम्, ॐ ह्रौं हरिमर्कटाय नेत्र-त्रयाय वोषट्, ॐ ह्रः सीता-शोक-विनाशकाय अस्त्राय फट् । ध्यानः- ॐ उद्यद्बालदिवाकरद्युतितनु पीताम्बरालंकृतं । देवेन्द्र-प्रमुख-प्रशस्त-यशसं श्रीराम-भूप-प्रियम् ।। सीता-शोक-विनाशिनं पटुतरं भक्तेष्ट-सिद्धि-प्रदं । ध्यायेद्वानर-पुंगवं हरिवरं श्रीमारुति सिद्धिदम् ।। निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक मन्त्र का जप ६ मास तक नित्य-प्रति ३००० करना चाहिए - १॰ “ॐ हं हनुमते आञ्जनेयाय महाबलाय नमः ।” २॰ “ॐ आञ्जनेयाय महाबलाय हुं फट् ।” २॰ “ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय महाभीमपराक्रमाय सकलशत्रुसंहारणाय स्वाहा। ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय महाबलप्रचण्डाय सकलब्रह्माण्डनायकाय सकलभूत-प्रेत-पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-यक्षिणी-पूतना-महामारी-सकलविघ्ननिवारणाय स्वाहा। ॐ आञ्जनेयाय विद्महे महाबलाय धीमहि तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् (गायत्री) ॐ नमो हनुमते महाबलप्रचण्डाय महाभीम पराक्रमाय गजक्रान्तदिङ्मण्डलयशोवितानधवलीकृतमहाचलपराक्रमाय पञ्चवदनाय नृसिंहाय वज्रदेहाय ज्वलदग्नितनूरुहाय रुद्रावताराय महाभीमाय, मम मनोरथपरकायसिद्धिं देहि देहि स्वाहा। ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय महाभीमपराक्रमाय सकलसिद्धिदाय वाञ्छितपूरकाय सर्वविघ्ननिवारणाय मनो वाञ्छितफलप्रदाय सर्वजीववशीकराय दारिद्रयविध्वंसनाय परममंगलाय सर्वदुःखनिवारणाय अञ्जनीपुत्राय सकलसम्पत्तिकराय जयप्रदाय ॐ ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रूं फट् स्वाहा।”
विधिः- सर्वकामना सिद्धि का संकल्प करके उपर्युक्त पूरे मन्त्र का १३ दिनों में ब्राह्मणों द्वारा ३३००० जप पूर्ण कराये। तेरहवें दिन १३ पान के पत्तों पर १३ सुपारी रखकर शुद्ध रोली अथवा पीसी हुई हल्दी रखकर स्वयं १०८ बार उक्त मन्त्र का जाप करके एक पान को उठाकर अलग रख दे। तदन्तर पञ्चोपचार से पूजन करके गाय का घृत, सफेद दूर्वा तथा सफेद कमल का भाग मिलाकर उसके साथ उस पान का अग्नि में हवन कर दे। इसी प्रकार १३ पानों का हवन करे। तदन्तर ब्राह्मणों द्वारा उक्त मन्त्र से ३२००० आहुतियाँ दिलाकर हवन करायें। तथा ब्राह्मणों को भोजन कराये। ३॰ “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते मम कार्येषु ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल असाध्यं साधय साधय मां रक्ष रक्ष सर्वदुष्टेभ्यो हुं फट् स्वाहा।”
विधिः-मंगलवार से प्रारम्भ करके इस मन्त्र का प्रतिदिन १०८ बार जप करता रहे और कम-से-कम सात मंगलवार तक तो अवश्य करे। इससे इसके फलस्वरुप घर का पारस्परिक विग्रह मिटता है, दुष्टों का निवारण होता है और बड़ा कठिन कार्य भी आसानी से सफल हो जाता है। ४॰ “हनुमन् सर्वधर्मज्ञ सर्वकार्यविधायक। अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तु ते।।” या “हनूमन्नञ्जनीसूनो वायुपुत्र महाबल। अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तु ते।।” विधिः- प्रतिदिन तीन हजार के हिसाब से ११ दिनों में ३३ हजार जप जो, फिर ३३०० दशांश हवन या जप करके ३३ ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाये। इससे अकस्मात् आयी हुई विपत्ति सहज ही टल जाती है। हनुमान जी की साधना में ब्रम्हचर्य अनिवार्य है ! भोजन याम नियम की सावधानी बरते ! दशांश हवन करने से हनुमान जी सब कष्टो से मुक्ति देते है ! सारे ही मंत्र विलक्षण है बस नियमित जाप और हवन की आवश्यकता है पीलिया रोग को झाड़ा मंत्र ५- “ॐ यो यो हनुमन्त फलफलित धग्धगिति आयुराष परुडाह ।” प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखकर इस मंत्र का २५ माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है । इस मंत्र के द्वारा पीलिया रोग को झाड़ा जा सकता है । विष निवारण मंत्र ॐ पश्चिम-मुखाय-गरुडासनाय पंचमुखहनुमते नमः मं मं मं मं मं, सकल विषहराय स्वाहा ।” इस मन्त्र की जप संख्या १० हजार है, इसकी साधना दीपावली की अर्द्ध-रात्रि पर करनी चाहिए । यह मन्त्र विष निवारण में अत्यधिक सहायक है । ग्रह-दोष निवारण मंत्र “ॐ उत्तरमुखाय आदि वराहाय लं लं लं लं लं सी हं सी हं नील-कण्ठ-मूर्तये लक्ष्मणप्राणदात्रे वीरहनुमते लंकोपदहनाय सकल सम्पत्ति-कराय पुत्र-पौत्रद्यभीष्ट-कराय ॐ नमः स्वाहा ।” इस मन्त्र का उपयोग महामारी, अमंगल एवं ग्रह-दोष निवारण के लिए है । वशीकरण मंत्र “ॐ नमो पंचवदनाय हनुमते ऊर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय रुं रुं रुं रुं रुं रुद्रमूर्तये सकललोक वशकराय वेदविद्या-स्वरुपिणे ॐ नमः स्वाहा ।” यह वशीकरण के लिए उपयोगी मन्त्र है । भूत-प्रेत दोष निवारण मंत्र “ॐ श्री महाञ्जनाय पवन-पुत्र-वेशयावेशय ॐ श्रीहनुमते फट् ।” यह २५ अक्षरों का मन्त्र है इसके ऋषि ब्रह्मा, छन्द गायत्री, देवता हनुमानजी, बीज श्री और शक्ति फट् बताई गई है । छः दीर्घ स्वरों से युक्त बीज से षडङ्गन्यास करने का विधान है । इस मन्त्र का ध्यान इस प्रकार है - आञ्जनेयं पाटलास्यं स्वर्णाद्रिसमविग्रहम् । परिजातद्रुमूलस्थं चिन्तयेत् साधकोत्तम् ।। (नारद पुराण ७५-१०२) इस प्रकार ध्यान करते हुए साधक को एक लाख जप करना चाहिए । तिल, शक्कर और घी से दशांश हवन करें और श्री हनुमान जी का पूजन करें । यह मंत्र ग्रह-दोष निवारण, भूत-प्रेत दोष निवारण में अत्यधिक उपयोगी है । उदररोग नाशक मंत्र “ॐ यो यो हनुमंत फलफलित धग्धगित आयुराषः परुडाह ।” उक्त मन्त्र को प्रतिदिन ११ बार पढ़ने से सब तरह के पेट के रोग शांत हो जाते हैं ।

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