समुद्र लांघना
माता सीता की खोज करते समय जब हनुमान, अंगद, जामवंत आदि वीर समुद्र तट पर पहुंचे तो 100 योजन विशाल समुद्र को देखकर उनका उत्साह कम हो गया। तब अंगद ने वहां उपस्थित सभी पराक्रमी वानरों से उनके छलांग लगाने की क्षमता के बारे में पूछा। तब किसी वानर ने कहा कि वह 30 योजन तक छलांग लगा सकता है, तो किसी ने कहा कि वह 50 योजन तक छलांग लगा सकता है।
ऋक्षराज जामवंत ने कहा कि वे 90 योजन तक छलांग लगा सकते हैं। सभी की बात सुनकर अंगद ने कहा कि- मैं 100 योजन तक छलांग लगाकर समुद्र पार तो कर लूंग, लेकिन लौट पाऊंगा कि नहीं, इसमें संशय है। तब जामवंत ने हनुमानजी को उनके बल व पराक्रम का स्मरण करवाया और हनुमानजी ने 100 योजन विशाल समुद्र को एक छलांग में ही पार कर लिया।
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