Saturday, 1 October 2016
श्री शनिदेव की आरती
जय जय शनिदेव महाराज, जन के संकट हरने वाले ।
तुम सूर्यपुत्र बलधारी, भय मानत दुनिया सारी जी ।
साधत हो दुर्लभ काज ।।
तुम धर्मराज के भाई, जम क्रूरता पाई जी ।
घन गर्जन करत आवाज।।
तुम नील देव विकरारी, भैसा पर करत सवारी जी ।
कर लोह गदा रहें साज ।।
तुम भूपति रंग बनाओ, निर्धन सिर छत्र धराओ जी ।।
समरथ हो करन मम काज ।।
राजा को राज मिटाओ, जिन भगतों फेर दिवायो जी ।
जग में ह्वै गयी जै जैकार ।
तुम हो स्वामी, हम चरनन सिर करत नमामि जी ।
पुरवो जन जन की आस ।
यह पूजा देव तिहारी, हम करत दिन भाव ते पारी जी ।
अंगीकृत करो कृपालु जी ।।
प्रभु सुधि दृष्टि निहारौ, क्षमिये अपराध हमारो जी ।।
है हाथ तिहारे ही लाज ।।
हम बहुत विपत्ति घबराए, शरनागति तुमरी आए जी ।
प्रभु सिद्ध करो सब काज ॥
यह विनय कर जोर के भक्त सुनावें जी ।
तुम देवन के सिर ताज॥
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