Tuesday, 20 December 2016

सुरज रे तू जलते रहना

जगत भर की रोशनी के लिये
करोड़ों की ज़िंदगी के लिये
सूरज रे जलते रहना
सूरज रे जलते रहना…

जगत कल्याण की खातिर तू जन्मा है
तू जग के वास्ते हर दुःख उठा रे
भले ही अंग तेरा भस्म हो जाये
तू जल जल के यहँ किरणें लुटा रे

लिखा है ये ही तेरे भाग में
कि तेरा जीवन रहे आग में
सूरज रे…

करोड़ों लोग पृथ्वी के भटकते हैं
करोड़ों आँगनों में है अँधेरा
अरे जब तक न हो घर घर में उजियाला
समझ ले अधूरा काम है तेरा

जगत उद्धार में अभी देर है
अभी तो दुनियाँ मैं अन्धेर है
सूरज रे…

No comments:

Post a Comment