Friday, 24 February 2017
नवग्रह कवच
भगवान शिव तो औघड़ दानी है. उन्होंने पार्वती को नवग्रह कवच के बारे में बताया कि जो भी मनुष्य इस कवच को धारण करेगा या इसका जप करेगा उसके जीवन में ग्रह बाधा नहीं आयेगी. जीवन में वह सब प्रकार के भौतिक सुख प्राप्त करेगा. पाठकों के लाभार्थ उस कवच को प्रदान किया जा रहा है. जिसका जप हर किसी को करना ही चाहिए .
ॐ ह्रां ह्रीं सः में शिरः पातु श्री सूर्य ग्रहपति,
ॐ घों सौं ओम में मुखं पातु श्री चंद्रो ग्रह रजकः,
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रां सः करो पातु श्री सेनापति कुजः
पयादथॐ ह्रौं ह्रां सः पदागयो नृप बालकः
ॐ त्रों त्रों त्रों सः कटी पातु मायादमर पूजित
ॐ ह्रौं ह्रां सः दैत्य पूज्य ह्रदयं परी रक्षतु
ॐ छौं छं छौं स: कंठ देशम श्री रहू देव मर्दक
ॐफौं फाम फौं सः कटी पातु सर्वांगम भीतो वतु
ग्रहशचेते भोग देहा नित्यअस्तु सफुटित ग्रह
एत दशांश संभूतं पातु नित्यम तु दुर्जनात
अक्षम कवचं पुण्यं सूर्यादि ग्रह देवतम पठेद व पाठयेद
वापी दारयेद यो जनः शुचिः
सः सिद्धिं प्राप्यु न धिषटाम दुर्लाभाम त्रि ध्शेसतुयाम
विधि:- इस को २ प्रकार से किया जा सकता है. एक अनुष्ठान के रूप में दूसरा नित्य पूजा के रूप में .
१. अनुष्ठान को किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है. स्नान करके अपने पूजा के स्थान में नवग्रह कवच को स्थापित करें . इसको जल से स्नान करवाएं . अब इस पर कुमकुम से तिलक करें. थोड़े चावल (जो टूटे हुए ना हों ) चडा दें. अब इस पर पुष्प चडा दें. घी का दीपक जला दें , अगरबत्ती लगा दें . अब इस पाठ को १०८ बार करें और केवल ११ दिन करें . ११ दिन के बाद इस कवच को गले में पहन लें . इसके बाद रोज केवल एक या पांच बार इस मंत्र को जप लिया करें . कुंडली में केसा भी दोष हो वह खत्म हो जायेगा, जीवन में उन्नति के रास्ते खुलने शुरू हो जायेंगे. रोगों से निवृति मिलेगी,
२. अनुष्ठान ना करके यदि कवच को धारण करके मात्र पांच बार इस मंत्र को जप लिया जाये तो वह दिन सफलता पूर्वक निकलता है, उस दिन ग्रहों का कोई भी विपरीत प्रभाव उसे नहीं भोगना पड़ता.
मेरी राय में शिव प्रदत इस दुर्लभ मंत्र कि जप प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए जिससे उसके जीवन से परेशानियां दूरे हो सकें .
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