ये कोमिनिस्ट है (अभिनेत्री विद्या बालन को सेना के जवान द्वारा तथाकथित रूप से घूरे जाने के मुद्दे पर विद्या बालन को जवाब देती मेरी ताज़ा कविता)
रचनाकार- कवि गौरव चौहान इटावा उ प्र 9557062060
बॉलीवुड का गटर खुला तो ज़हर फ़िज़ा में घोल गयी,
डर्टी पिक्चर करने वाली डर्टी भाषा बोल गयी,
ऊ लाला गाती पिक्चर में नंगा सीना तान गयीं,
सेना के जवान की नज़रें टिकीं,बुरा क्यों मान गयीं,
तुम तो अंग प्रदर्शन करके मर्यादा को भूली थीं,
वृद्ध नसीरुद्दीन शाह की बाँहों में भी झूलीं थीं,
बुड्ढों से परहेज नही तो थोड़ा धीरज धर लेती,
इक जवान ने घूर लिया जो,अनदेखा ही, कर लेती,
माना तुम पैसे लेकर ही देह प्रदर्शन करती हो,
टाँगे,बाहें,गला दिखाकर अपना बटुआ भरती हो,
और इश्किया में हमने क्या नंगे पन कम देखे थे?
विद्या बालन सबने तेरे दो दो बालम देखे थे,
पैसे लेकर जिस्म दिखाना,उस पर भले शराफत क्या,
इक जवान ने फ्री फंड में देख लिया तो आफत क्या,
पहले दुनिया घूर रही थी,ये ज़मीर तब हिला नही,
दिक्कत शायद ये है उस जवान से पैसा मिला नही,
किसने बोला था,बयान तुम ऐसा दो या वैसा दो,
खुल कर कहती उस जवान से,घूर लिया अब पैसा दो,
जो सरहद पर रोज लड़ा,ये संकट भी ले सकता था,
वो ही तुमको एक माह की तनख्वा भी दे सकता था,
कोठे वाले रोल निभाकर,क्षत्राणी सी तन बैठीं,
शयनकक्ष में सजने वाली बेलें,तुलसी बन बैठीं,
परदे पर अय्याशी,है अश्लील विरासत,शर्म करो,
इक जवान की करने बैठी बड़ी शिकायत,शर्म करो,
वो सरहद पर डंटा सिपाही,तुम मुम्बई में लेटी हो,
इस बयान से लगता है तुम अंजाम खां की बेटी हो,
वर्ना जिस जवान की नज़रे,तुमको इतनी खटकी हैं
उसके घर पर शादी वाली कई अर्जियां लटकी हैं,
खुद को हूर समझती हो,सूरत मिट्टी मिल जायेगी,
उस जवान की महबूबा जो भी होगी,इतरायेगी,
वो जवान जो देख रहा है,सरहद की रखवाली को,
वो जवान जो बारूदों में देख रहा दीवाली को,
कवि गौरव चौहान कहे वो सैनिक सच्चा हीरो है,
एक नचनिया की शोहरत,उसके आगे बस ज़ीरो है,
तन पर पावन वर्दी धारे,मन का चंगा बैठा है,
तेरा आँचल क्या देखे,जो ओढ़ तिरंगा बैठा है,
----कवि गौरव चौहान(सेना के सम्मान में बिना कांट छांट खूब शेयर करें,कवि का नाम बना रहने दें,आजकल लोग मिटाने में लगे हैं)
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