ये छह लोग हमेशा रहते हैं दुःखी
ईर्ष्यी घृणी नसंतुष्ट: क्रोधिनो नित्यशंकित:। परभाग्योपजीवी च षडेते नित्य दु:खिता: ।। (विदुर नीति श्लोक 22)
अर्थ - ईर्ष्या करने वाला, दूसरों से घृणा करने वाला, असंतुष्ट, क्रोधी, शंकाशील और पराश्रित ये छ: सदा दुःखी रहते है।
1 . जो दूसरों से जलता है - इंसान दूसरों को देखकर मन ही मन जलता रहता है, दूसरों के सुख और सफलता से दुःखी रहता है, ऐसा इंसान हमेशा ही दुःखी रहेगा, क्योंकि उसके सामने कोई ना कोई हमेशा ही सफल और सुखी होता रहेगा।
2 . दूसरों से नफरत करने वाला - जो इंसान दूसरों से नफरत करता है, वो हमेशा दुःखी रहेगा। उसके मन में हमेशा दूसरों को दुःख देने की बात चलती रहेगी, वो कभी खुद की खुशी के लिए काम नहीं कर पाएगा।
3. जो किसी बात से संतुष्ट ना हो - ऐसा आदमी जो कभी किसी भी चीज से संतुष्ट ना हो वो कभी खुश नहीं हो सकता, क्योंकि एक चीज पाने के बाद उसका मन संतुष्ट नहीं होगा, वो दूसरी चीज पाने के लिए प्रयासों में लग जाएगा। ऐसे में वो कभी किसी चीज का पूर्ण भोग नहीं कर पाएगा और हमेशा असंतुष्ट ही घूमता रहेगा।
4 . जिसे बात-बात पर गुस्सा आता हो - ऐसा इंसान जो हमेशा किसी ना किसी बात पर गुस्सा हो जाता हो। वो कभी सुखी नहीं रह सकता क्योंकि वो छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करके खुद को और दूसरों को दुःख पहुंचाता रहेगा।
5 . जो सब पर शक करता हो - ऐसा इंसान जिसे किसी पर भी भरोसा ना हो, जो सबको शक की नजर से देखे वो हमेशा ही दुःखी रहेगा क्योंकि वो किसी को भी अपना नहीं मान पाएगा। मन ही मन अकेलेपन का शिकार होता रहेगा।
6 . जो दूसरों पर आश्रित हो - ऐसा इंसान जो दूसरों पर आश्रित रहता हो, वो कभी सुखी नहीं हो सकता क्योंकि उसे उन्हीं लोगों के हिसाब से जीना होता है, जिन पर वो आश्रित होता है।
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