जय गणपति वंदन गणनायक ॥
तेरी छवि अति सुंदर सुखदायक ॥
जय गणपति.......
है चार भुजाधारी मस्तक, सिंदूरी रूप निराला,
है मूसक वाहन तेरो, तू ही जग का रखवाला,
तेरी सुंदर मूरत मन में-२ तू पालक सिद्धि विनायक,
जय गणपति.....
मन मंदिर का अँधियारा, तेरे नाम से हूँ उजियारा,
तेरे नाम की ज्योति जली तो, मन में बहती सुख धारा,
तेरी सिमरन हर को जनमें, सबसे पहले फलदायक,
जय गणपति....
तेरे नाम को जिसने ध्याया, उस पर रहती सुखछाया,
मेरे रोम रोम अन्दर में, इक तेरा रूप समाया,
तेरी महिमा तू ही जाने-२ शिव पार्वती के बालक,
जय गणपति.....
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