ही तो जन्नत मेरी, तू ही मेरा जूनून
तू ही तो मन्नत मेरी, तू ही रूह का सुकून
तू ही अंखियों की ठंडक, तू ही दिल की है दस्तक
और कुछ ना जानूं, मैं बस इतना ही जानूं
तुझमें रब दिखता है, यारा मैं क्या करूँ
सजदे सर झुकता है, यारा मैं क्या करुँ
कैसी है ये दूरी, कैसी मजबूरी
मैंने नज़रों से तुझे छू लिया
कभी तेरी खुशबू, कभी तेरी बातें
बिन मांगे ये जहाँ पा लिया
तू ही दिल की है रौनक, तू ही जन्मों की दौलत
और कुछ ना जानूं, बस इतना ही जानूं
तुझमें रब दिखता है, यारा मैं क्या करूँ...
छम छम आए, मुझे तरसाए
तेरा साया छेड़ के चूमता..
तू जो मुस्काए, तू जो शरमाये
जैसे मेरा है खुदा झूमता..
तू मेरी है बरकत, तू ही मेरी इबादत
और कुछ ना जानूं, बस इतना ही जानूं
तुझमें रब दिखता है, यारा मैं क्या करूँ...
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