Thursday, 31 October 2019
ऊठ ऊठ पंढरीनाथा ऊठ बा मुकुंदा
Tuesday, 29 October 2019
श्री दत्त अथर्वशीर्ष
Monday, 28 October 2019
राम अष्टक
हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशव ।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा ।।
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते ।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम् ।।
आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम् ।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम्भाषणम् ।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम् ।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि रामायणम् ।।
जय धन्वंतरि देवा आरती
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।
जिस भजन में राम का नाम ना हो, उस भजन को गाना ना चाहिए।
चाहे बेटा कितना प्यारा हो, उसे सर पे चढ़ाना ना चाहिए।
चाहे बेटी कितनी लाडली हो, घर घर ने घुमाना ना चाहिए॥
जिस माँ ने हम को जनम दिया, दिल उसका दुखाना ना चाहिए।
जिस पिता ने हम को पाला है, उसे कभी रुलाना चाहिए॥
चाहे पत्नी कितनी प्यारी हो, उसे भेद बताना ना चाहिए।
चाहे मैया कितनी बैरी हो, उसे राज़ छुपाना ना चाहिए
Saturday, 19 October 2019
दुनिया बनाने वाले महिमा तेरी निराली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
ऊचे शिखर गिरी के आकाश चूमते हैं।
वृक्षों के झुरमुटे भी वायु में झूमते हैं।
सरिताएं बहती कल कल शीतल से नीर वाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
कही वृक्ष है रसीले कही झाड है कटीले।
कही रेत के है टीले सरोवर कही है नीले।
ये आसमान देखो कैसी सजी दिवाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
सब प्राणियों के जग में तूने बनाए जोड़े।
दुर्जन अधीक बनाए सज्जन बनाए थोड़े।
घोड़े बनाए तूने सिंह हाथी शक्तिशाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
जुगनू की दूम में तूने कैसा बल्ब लगाया।
बरसात की निशाँ में जंगल है जगमगाया।
बिजली चमक है कैसी घन की घटा है काली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
संसार की नदी सब सागर में जा रही हैं।
सागर की तरंगें भी गुण तेरे ही गा रही हैं।
इस विश्व वाटिका का केवल प्रभु है माली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
बच्चे किसी पे दर्जन टुकडो के भी हैं लाले।
संतान बिन किसी के घर पे लगे हैं ताले।
यूनान का सिकंदर गया करके हाथ खाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
आवागमन का देखो कैसा ये सिलसिला है।
थे कर्म जिसके जैसे वैसा ही फल मिला है।
अंगूर कैसे मिलते बोई थी जब निम्बोली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
फूलो का चूस के रस कैसा मधु बनाए।
मधुमक्खी में तूने क्या यंत्र हैं लगाए।
मधु सबके मन को है भाय चाहे लाला हो या लाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
पत्तो को खाके कीड़ा रेशम बना रहा है।
है कौन जो उदर में चरखा चला रहा है।
बुन बुन के आ रहा है रेशम का लच्छा जाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
बरसात के दिनों में लेंटर टपकते देखा।
बैये के घोसले में पाई ना जल की रेखा।
क्या तकनिकी सिखाई तूने हे शिल्प शाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
दुनिया बनाने वाले महिमा तेरी निराली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
Monday, 14 October 2019
रेणुका मातेची आरती
रेणुका मातेची आरती
जय देवी श्री देवी, रेणुका माते।
आरती ओवाळीतो तुजला शुभचरिते॥
मंदस्मित मधुलोचन, सुंदर ही मूर्ती।
वज्रचुडेमंडित तव, गिरिशिखरे वसती॥१॥
जय देवी श्री देवी, रेणुका माते।
आरती ओवाळीतो तुजला शुभचरिते॥
भाग्यवती तूं जननी, परशुरामाची।
तेहतीस कोटी देवांवरि, तव सत्ता साची॥२॥
जय देवी श्री देवी, रेणुका माते।
आरती ओवाळीतो तुजला शुभचरिते॥
सीता, लक्षी, पार्वती, यल्लम्मा सारी।
तुझीच नाना नावें नाना अवतारी॥३॥
जय देवी श्री देवी, रेणुका माते।
आरती ओवाळीतो तुजला शुभचरिते॥
जगदेश्वरी जगदंबे, व्यापिसी विश्वाला।
मिलिंद माधव भावे वंदितसे तुजला॥४॥
जय देवी श्री देवी, रेणुका माते।
आरती ओवाळीतो तुजला शुभचरिते॥