Thursday, 31 October 2019

ऊठ ऊठ पंढरीनाथा ऊठ बा मुकुंदा

ll जय हरी विठ्ठल ll

ऊठ ऊठ पंढरीनाथा ऊठ बा मुकुंदा
उठ पांडुरंगा देवा पुंडलिक वरदा  ll धृ ll

अस्त पातलासे चंद्रा, तारका विझाल्या
फुलत फुलत वेलीवरच्या कळ्या फुले झाल्या
जाग पाखरांना आली, जाग ये सुगंधा  ll १ ll

पात्र पाणियाचे हाती उभी असे भीमा
दर्शनास आले तुझिया ज्ञानदेव, नामा
भक्तराज चोखामेळा दुरून देई सादा  ll २ ll

देह-भाव मिळुनी केला काकडा मनाचा
निघून धूर गेला अवघ्या आस-वासनांचा
ज्ञानज्योत चेतविली ही उजळण्या अवेदा

Tuesday, 29 October 2019

श्री दत्त अथर्वशीर्ष

श्री दत्त अथर्वशीर्ष

॥ हरिः ॐ ॥
ॐ नमो भगवते दत्तात्रेयाय अवधूताय
दिगंबरायविधिहरिहराय आदितत्त्वाय आदिशक्तये ॥१॥
त्वं चराचरात्मकः सर्वव्यापी सर्वसाक्षी
त्वं दिक्कालातीतः त्वं द्वन्द्वातीतः ॥२॥
त्वं विश्वात्मकः त्वं विश्वाधारः विश्वेशः
विश्वनाथः त्वं विश्वनाटकसूत्रधारः
त्वमेव केवलं कर्तासि त्वं अकर्तासि च नित्यम् ॥३॥
त्वं आनन्दमयः ध्यानगम्यः त्वं आत्मानन्दः
त्वं परमानन्दः त्वं सच्चिदानन्दः
त्वमेव चैतन्यः चैतन्यदत्तात्रेयः
ॐ चैतन्यदत्तात्रेयाय नमः ॥४॥
त्वं भक्तवत्सलः भक्ततारकः भक्तरक्षकः
दयाघनः भजनप्रियः त्वं पतितपावनः
करुणाकरः भवभयहरः ॥५॥
त्वं भक्तकारणसंभूतः अत्रिसुतः अनसूयात्मजः
त्वं श्रीपादश्रीवल्लभः त्वं गाणगग्रामनिवासी
श्रीमन्नृसिंहसरस्वती त्वं श्रीनृसिंहभानः
अक्कलकोटनिवासी श्रीस्वामीसमर्थः
त्वं करवीरनिवासी परमसद्गुरु श्रीकृष्णसरस्वती
त्वं श्रीसद्गुरु माधवसरस्वती ॥६॥
त्वं स्मर्तृगामी श्रीगुरूदत्तः शरणागतोऽस्मि त्वाम् ।
दीने आर्ते मयि दयां कुरु
तव एकमात्रदृष्टिक्षेपः दुरितक्षयकारकः ।
हे भगवन। वरददत्तात्रेय।
मामुद्धर। मामुद्धर। मामुद्धर इति प्रार्थयामि ।
ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः ॥७॥

॥ ॐ दिगंबराय विद्महे अवधूताय धीमहि तन्नो दत्तः प्रचोदयात् ॥

Monday, 28 October 2019

राम अष्टक

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशव ।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा ।।

हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते ।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम् ।।

आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम् ।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम्भाषणम् ।।

बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम् ।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि रामायणम् ।।

 

जय धन्वंतरि देवा आरती

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।

देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।

आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।

असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।

वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।

रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।

जिस भजन में राम का नाम ना हो, उस भजन को गाना ना चाहिए।

तर्ज : लूट ले मेरे जादूगर

जिस भजन में राम का नाम ना हो, उस भजन को गाना ना चाहिए।

चाहे बेटा कितना प्यारा हो, उसे सर पे चढ़ाना ना चाहिए।
चाहे बेटी कितनी लाडली हो, घर घर ने घुमाना ना चाहिए॥

जिस माँ ने हम को जनम दिया, दिल उसका दुखाना ना चाहिए।
जिस पिता ने हम को पाला है, उसे कभी रुलाना चाहिए॥

चाहे पत्नी कितनी प्यारी हो, उसे भेद बताना ना चाहिए।
चाहे मैया कितनी बैरी हो, उसे राज़ छुपाना ना चाहिए

गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना॥

मैं शरण पड़ा तेरी चरणों में जगह देना,
गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना।

करूणानिधि नाम तेरा, करुन दिखलाओ तुम,
सोये हुए भाग्यो को, हे नाथ जगाओ तुम।
मेरी नाव भवर डोले इसे पार लगा देना,
गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना॥

जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा।
जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा॥

तुम सुख के सागर हो, निर्धन के सहारे हो,
इस तन में समाये हो, मुझे प्राणों से प्यारे हो।
नित्त माला जपूँ तेरी, नहीं दिल से भुला देना,
गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना॥

पापी हूँ या कपटी हूँ, जैसा भी हूँ तेरा हूँ,
घर बार छोड़ कर मैं जीवन से खेला हूँ।
दुःख का मार हूँ मैं, मेरा दुखड़ा मिटा देना,
गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना॥

मैं सब का सेवक हूँ, तेरे चरणों का चेरा हूँ,
नहीं नाथ भुलाना मुझे, इसे जग में अकेला हूँ।
तेरे दर का भिखारी हूँ, मेरे दोष मिटा देना,
गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना॥

इन चरनन की पाऊं सेवा,
जय गुरुदेवा, जय गुरुदेवा।

Saturday, 26 October 2019

श्री कुबेर आरती

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे ,
स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे।
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं॥
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करें॥
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े,
स्वामी हम तेरी शरण पड़े
अपने भक्त जनों के ,
सारे काम संवारे॥
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले,
स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,
घी की जोत जले॥
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
यक्ष कुबेर जी की आरती ,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे।
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥

Saturday, 19 October 2019

दुनिया बनाने वाले महिमा तेरी निराली।

दुनिया बनाने वाले महिमा तेरी निराली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।

ऊचे शिखर गिरी के आकाश चूमते हैं।
वृक्षों के झुरमुटे भी वायु में झूमते हैं।
सरिताएं बहती कल कल शीतल से नीर वाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥

कही वृक्ष है रसीले कही झाड है कटीले।
कही रेत के है टीले सरोवर कही है नीले।
ये आसमान देखो कैसी सजी दिवाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥

सब प्राणियों के जग में तूने बनाए जोड़े।
दुर्जन अधीक बनाए सज्जन बनाए थोड़े।
घोड़े बनाए तूने सिंह हाथी शक्तिशाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥

जुगनू की दूम में तूने कैसा बल्ब लगाया।
बरसात की निशाँ में जंगल है जगमगाया।
बिजली चमक है कैसी घन की घटा है काली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥

संसार की नदी सब सागर में जा रही हैं।
सागर की तरंगें भी गुण तेरे ही गा रही हैं।
इस विश्व वाटिका का केवल प्रभु है माली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥

बच्चे किसी पे दर्जन टुकडो के भी हैं लाले।
संतान बिन किसी के घर पे लगे हैं ताले।
यूनान का सिकंदर गया करके हाथ खाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥

आवागमन का देखो कैसा ये सिलसिला है।
थे कर्म जिसके जैसे वैसा ही फल मिला है।
अंगूर कैसे मिलते बोई थी जब निम्बोली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥

फूलो का चूस के रस कैसा मधु बनाए।
मधुमक्खी में तूने क्या यंत्र हैं लगाए।
मधु सबके मन को है भाय चाहे लाला हो या लाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥

पत्तो को खाके कीड़ा रेशम बना रहा है।
है कौन जो उदर में चरखा चला रहा है।
बुन बुन के आ रहा है रेशम का लच्छा जाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥

बरसात के दिनों में लेंटर टपकते देखा।
बैये के घोसले में पाई ना जल की रेखा।
क्या तकनिकी सिखाई तूने हे शिल्प शाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥

दुनिया बनाने वाले महिमा तेरी निराली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।

Monday, 14 October 2019

रेणुका मातेची आरती

रेणुका मातेची आरती


जय देवी श्री देवी, रेणुका माते।
आरती ओवाळीतो तुजला शुभचरिते॥
मंदस्मित मधुलोचन, सुंदर ही मूर्ती।
वज्रचुडेमंडित तव, गिरिशिखरे वसती॥१॥


जय देवी श्री देवी, रेणुका माते।
आरती ओवाळीतो तुजला शुभचरिते॥
भाग्यवती तूं जननी, परशुरामाची।
तेहतीस कोटी देवांवरि, तव सत्ता साची॥२॥

जय देवी श्री देवी, रेणुका माते।
आरती ओवाळीतो तुजला शुभचरिते॥
सीता, लक्षी, पार्वती, यल्लम्मा सारी।
तुझीच नाना नावें नाना अवतारी॥३॥

जय देवी श्री देवी, रेणुका माते।
आरती ओवाळीतो तुजला शुभचरिते॥
जगदेश्वरी जगदंबे, व्यापिसी विश्वाला।
मिलिंद माधव भावे वंदितसे तुजला॥४॥

जय देवी श्री देवी, रेणुका माते।
आरती ओवाळीतो तुजला शुभचरिते॥

भला किसी का कर ना सको तो, बुरा किसी का ना करना

भला किसी का कर ना सको तो,
बुरा किसी का ना करना ।
पुष्प नहीं बन सकते तो तुम, कांटे बन कर मत रहना ॥

बन ना सको भगवान् अगर, कम से कम इंसान बनो ।
नहीं कभी शैतान बनो, नहीं कभी हैवान बनो ॥
सदाचार अपना न सको तो, पापों में पग ना धरना ।
पुष्प नहीं बन सकते तो तुम, कांटे बन कर मत रहना ॥

सत्य वचन ना बोल सको तो, झूठ कभी भी मत बोलो ।
मौन रहो तो ही अच्छा, कम से कम विष ना घोलो ॥
बोलो यदि पहले तुम तोलो, फिर मुंह को खोला करना ।
पुष्प नहीं बन सकते तो तुम, कांटे बन कर मत रहना ॥

घर ना किसी का बसा सको तो, झोपड़ियां ना जला देना
मरहम पट्टी कर ना सको तो, खार नमक ना लगा देना ॥
दीपक बन कर जल ना सकोतो, अंधियारा ना फैला देना
पुष्प नहीं बन सकते तो तुम, कांटे बन कर मत रहना ॥

अमृत पिला ना सके किसी को, ज़हर पिलाते भी डरना
धीरज बंधा नहीं सको तो घाव किसी के मत करना ॥
राम नाम की माला ले क,र सुबह श्याम भजन करना ।
पुष्प नहीं बन सकते तो तुम, कांटे बन कर मत रहना