शिंगणापुर में आने वाले दर्शनार्थियों के लिए कुछ समय पहले तक पहनावे को लेकर नियम था, जो भी भक्त शनिदेव को तेल चढ़ाना चाहता था, उसे शरीर के निचले भाग में केसरिया लुंगी या धोती पहनना आवश्यक होती था। साथ ही दर्शन और शनिदेव का अभिषेक गीले वस्त्रों में ही किया जाता था। इन नियमों का पालन सभी पुरुषों को करना होता था। वहीं महिलाओं को शनिदेव का अभिषेक या पूजन की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब यह नियम हटा दिया गया है क्योंकि अब किसी भी भक्त को भगवान के पास नहीं जाने दिया जाता। मूर्ति से कुछ दूरी पर स्थित घड़े में तेल डाल दिया जाता है, जो की पाईप के द्वारा भगवान तक पहुंच जाता है।
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