Saturday, 5 December 2015
वास्तु टिप्स रसोईघर कैसा हो ?
रसोई (किचन) घर का मह्त्वपूर्ण हिस्सा होती है। यहां अन्नपूर्णा मां का वास भी माना जाता है। रसोई का निर्माण करवाते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें-
1. रसोई घर आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में बनवाना चाहिए। यदि आग्नेय कोण में संभव न हो तो वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में भी बनवाई जा सकती है। रसोई के लिए नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण) कम फलदायक होता है, जबकि ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में रसोई न हीं बनवाएं तो अच्छा है।
2. रसोई घर आग्नेय कोण में बनवाने के पीछे प्राकृतिक कारण भी है। चूंकि हवा प्राय: वायव्य कोण से आग्नेय कोण की ओर चलती है। इसलिए वास्तु शास्त्र में अग्नि यंत्र आदि के लिए आग्नेय कोण को सर्वश्रेष्ठ माना है। इसके पीछे तर्क है कि रसोई घर में फैलने वाली गंध, धुआं व गर्मी घर से बाहर नहीं निकलेगी तो पूरे मकान का वातावरण अशुद्ध हो जाएगा। यदि हवा वायव्य कोण से आग्नेय कोण की ओर बहेगी तो रसोई की सारी गंदगी, बदबू व गर्मी खिड़की के रास्ते घर से निकल जाएगी।
3. रसोई घर न अधिक बड़ा हो न अधिक छोटा। सामान्य आकार (50 वर्ग फुट) का रसोई घर होना चाहिए।
4. वर्तमान में कलात्मक रसोई घर बनवाने का प्रचलन है। इसलिए रसोई घर चार कोण, षटकोण या अष्टकोण का हो सकता है।
5. रसोई में एक खिड़की ऐसी बनवाएं, जो पूर्व दिशा को ओर खुले ताकि सूर्य की प्रात:कालीन किरणें रसोई घर में प्रवेश कर विषैले कीटाणुओं से मुक्त कर दे तथा नमी, सीलन आदि को भी समाप्त कर दे।
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