Friday, 9 September 2016

श्री राधा चालीसा

दोहा श्रीराधे वृषभानुजा , भक्तानी प्राणाधार | वृन्दाविपिन विहारिन्नी , प्रन्नावोम बारम्बार || जैसो तैसो रवारोऊ , कृष्ण -प्रिय सुखधाम | चरण शरण निज दीजिये , सुन्दर सुखद ललाम || चौपाई जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा | कीरति नंदिनी शोभा धामा || नित्य विहारिणी श्याम अधर | अमित बोध मंगल दातार ||1|| रास विहारिणी रस विस्तारिन I | सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ||2|| नित्य किशोरी राधा गोरी | श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ||3|| करुना सागरी हिय उमंगिनी | ललितादिक सखियाँ की संगनी ||4|| दिनकर कन्या कूल विहारिणी | कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सवानी ||5|| नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें | श्री राधा राधा कही हर्शवाहीं ||6|| मुरली में नित नाम उचारें | तुम कारण लीला वपु धरें ||7|| प्रेमा स्वरूपिणी अति सुकुमारी | श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ||8|| नावाला किशोरी अति चाबी धामा | द्युति लघु लाग कोटि रति कामा ||9|| गौरांगी शशि निंदक वदना | सुभाग चपल अनियारे नैना ||10|| जावक यूथ पद पंकज चरण | नूपुर ध्वनी प्रीतम मन हारना ||11|| सन्तता सहचरी सेवा करहीं | महा मोड़ मंगल मन भरहीं ||12|| रसिकन जीवन प्रण अधर | राधा नाम सकल सुख सारा ||13|| अगम अगोचर नित्य स्वरूप | ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ||14|| उप्जेऊ जासु अंश गुण खानी | कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ||15|| नित्य धाम गोलोक बिहारिनी | जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ||16|| शिव अज मुनि सनकादिक नारद | पार न पायं सेष अरु शरद ||17|| राधा शुभ गुण रूपा उजारी | निरखि प्रसन्ना हॉट बनवारी ||18|| ब्रज जीवन धन राधा रानी | महिमा अमित न जय बखानी ||19|| प्रीतम संग दिए गल बाहीं | बिहारता नित वृन्दावन माहीं ||20|| राधा कृष्ण कृष्ण है राधा | एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ||21|| श्री राधा मोहन मन हरनी | जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी ||22|| कोटिक रूप धरे नन्द नंदा | दरश कारन हित गोकुल चंदा ||23|| रास केलि कर तुम्हें रिझावें | मान करो जब अति दुःख पावें ||24|| प्रफ्फुल्लित होठ दरश जब पावें | विविध भांति नित विनय सुनावें ||25|| वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्याम | नाम लेथ पूरण सब कम ||26|| कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू | विविध नेम व्रत हिय में धरहु ||27|| तू न श्याम भक्ताही अपनावें | जब लगी नाम न राधा गावें ||28|| वृंदा विपिन स्वामिनी राधा | लीला वपु तुवा अमित अगाध ||29|| स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा | और तुम्हें को जननी हारा ||30|| श्रीराधा रस प्रीती अभेद | सादर गान करत नित वेदा ||31|| राधा त्यागी कृष्ण जो भाजिहाई | ते सपनेहूँ जग जलधि न TARIHAI||32|| कीरति कुमारी लाडली राधा | सुमिरत सकल मिटहिं भाव बड़ा ||33|| नाम अमंगल मूल नासवानी | विविध ताप हर हरी मन भवानी ||34|| राधा नाम ले जो कोई | सहजही दामोदर वश होई ||35|| राधा नाम परम सुखदायी | सहजहिं कृपा करें यदुराई ||36|| यदुपति नंदन पीछे फिरिहैन | जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैन ||37|| रास विहारिणी श्यामा प्यारी | करुहू कृपा बरसाने वारि ||38|| वृन्दावन है शरण तुम्हारी | जय जय जय व्र्शभाणु दुलारी ||39|| दोहा श्री राधा रसिकेश्वर घनश्याम | करुहूँ निरंतर वास मई श्री वृन्दावन धाम ||40|| Contact:+91-971101060

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