Saturday, 1 October 2016

नवम शक्ति सिद्धिदात्री पूजा व आरती

नवम शक्ति सिद्धिदात्री ऋद्धि, सिद्धि, निधियां प्रदान करनेवाली । जगत की मूलाधार । नौवीं देवी सिद्धिदात्री जी की पूजा नव दुर्गाओं में मां सिद्धदात्री अंतिम हैं । ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देनेवाली हैं । इनकी पूजा कर लेने के बाद भक्तों की लौकिक-पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है । इनकी कृपा से भक्त के अंदर कोई ऐसी कामना ही नहीं है, जिसे वह पूरा करना चाहे । आरती देवी सिद्धिदात्री जी की (हिन्दी में) जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता । तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।। तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि । तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।। कठिन काम सिद्ध करती हो तुम । जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।। तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है । तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ।। रविवार को तेरा सुमिरन करे जो । तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ।। तू सब काज उसके करती है पूरे । कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।। तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया । रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ।। सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली । जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ।। हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा । महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ।। मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता । भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ।।

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