Saturday, 1 October 2016

जय अम्बे गौरी की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुम को निस दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी । बोलो जय अम्बे गौरी ॥ माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को, उज्ज्वल से दो नैना, चन्द्र वदन नीको। बोलो जय अम्बे गौरी ॥ कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै, रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजै। बोलो जय अम्बे गौरी ॥ केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी, सुर-नर-मुनि जन सेवत, तिनके दु:खहारी । बोलो जय अम्बे गौरी ॥ कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती, कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति । बोलो जय अम्बे गौरी ॥ शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती, धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती । बोलो जय अम्बे गौरी ॥ चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे, मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे । बोलो जय अम्बे गौरी ॥ ब्रह्माणी, रुद्राणी तुम कमला रानी, आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी । बोलो जय अम्बे गौरी ॥ चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों, बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरू । बोलो जय अम्बे गौरी ॥ तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता सुख सम्पति करता । बोलो जय अम्बे गौरी ॥ भुजा चार अति शोभित वर-मुद्रा धारी, मनवाँछित फल पावत, सेवत नर-नारी । बोलो जय अम्बे गौरी ॥ कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती, श्रीमाल केतु में राजत, कोटि रतन ज्योती । बोलो जय अम्बे गौरी ॥ माँ अम्बे की आरती जो कोई जन गावे, कहत शिवानन्द स्वामी सुख-सम्पति पावे । बोलो जय अम्बे गौरी ॥

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