निकंदन भय भंजन कुछ आन करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ।
भीड़ पड़ी अब भारी हे बजरंगबली,
भक्तो के दुःख दूर मेरे हनुमान करो ॥
गयारवे हो रूध्र तुम हो, ले के अवतारी,
ज्ञानियो में आप ग्यानी योधा बलशाली ।
बाल अवस्था में चंचल आप का था मन,
सूर्य को तुम खा गए नटखट बड़ा बचपन ।
मैं हूँ निर्बल बल बुद्धि का दान करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ॥
श्री राम का तुम सा ना सेवक और है दूजा,
आज घर घर में तुम्हारी हो रही पूजा ।
दीन दुखिओं की कतारें द्वार पे लम्बी,
आप की महिमा को सुन कर आया मैं भी ।
अपने भक्तों का बजरंगी मान करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ॥
हे बजरंगी अब दया की कीजिये दृष्टि,
गा रही महिमा तुम्हारी यह सारी सृष्टि ।
आपकी कृपा हो जिसपे, राम मिले उसको,
बेदड़क आया ‘लक्खा’ अब और कहूँ किसको ।
दया की दृष्टि तुम मुझपर बलवान करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ॥
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