Sunday, 1 January 2017

तडप तडप के इस दिल मे

बेजान दिल को तेरे इश्क ने जिंदा किया फिर तेरे इश्क ने ही इस दिल को तबाह किया तड़प तड़प के इस दिल से आह निकलती रही है मुझको सजा दी प्यार की ऐसा क्या गुनाह किया तो लुट गए हाँ लुट गए तो लुट गए हम तेरी मोहब्बत में अजब है इश्क यारा पल दो पल की खुशियाँ गम के खजाने मिलते हैं मिलती है तन्हाईयाँ कभी आंसूं कभी आहें कभी शिकवे कभी नालें तेरा चेहरा नज़र आये तेरा चेहरा नज़र आये मुझे दिन के उजालों में तेरी यादें तड़पाएं तेरी यादें तड़पाएं रातों के अंधेरों में तेरा चेहरा नज़र आये मचल-मचल के इस दिल से आह निकलती रही है मुझको सजा दी... अगर मिले खुदा तो पूछूंगा खुदाया जिस्म मुझे देके मिट्टी का शीशे सा दिल क्यों बनाया और उस पे दिया फितरत के वो करता है मोहब्बत वाह रे वाह तेरी कुदरत वाह रे वाह तेरी कुदरत उस पे दे दिया किस्मत कभी है मिलन कभी फुरक़त कभी है मिलन कभी फुरक़त है यही क्या वो मोहब्बत वाह रे वाह तेरी कुदरत सिसक-सिसक के इस दिल से आह निकलती रही है मुझको सजा दी...

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