Friday, 18 December 2015

जय हनुमान

हनुमान संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है। हनु और मन। हनु का मतलब जबड़ा और मन मतलब बिगड़ा हुआ या विकृत। कहा जाता है कि भगवान हनुमान ने एक बार सूरज को एक फल समझकर निगलने की कोशिश की थी। तब इन्द्र भगवान ने उन पर वज्र का इस्तेमाल किया जिससे हमेशा के लिए उनका जबड़े का आकार बिगड़ गया।

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