Saturday, 1 October 2016

श्री गायत्री की आरती

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता !! आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जग पालन करती | दुःख, शोक, भय, क्लेश, कलह दारिद्रय दैन्य हरती !! ब्रहृ रुपिणी, प्रणत पालिनी, जगतधातृ अम्बे | भवभयहारी, जनहितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥ भयहारिणि भवतारिणि अनघे, अज आनन्द राशी | अविकारी, अघहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी !! कामधेनु सत् चित् आनन्दा, जय गंगा गीता | सविता की शाश्वती शक्ति, तुम सावित्री सीता || ऋग्, यजु, साम, अर्थव, प्रणयिनी, प्रणव महामहिमे | कुण्डलिनी सहस्त्रार, सुषुम्ना, शोभा गुण गरिमे !! स्वाहा, स्वधा, शची, ब्रहाणी, राधा, रुद्राणी | जय सतरुपा, वाणी, विघा, कमला, कल्याणी || जननी हम है, दीन, हीन, दुःख, दारिद के घेरे | यदपि कुटिल, कपटी कपूत, तऊ बालक है तेरे !! स्नेहसनी करुणामयि माता, चरण शरण दीजै | बिलख रहे हम शिशु सुत तेरे, दया दृष्टि कीजै || काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव, द्घेष हरिये | शुद्घ बुद्धि, निष्पाप हृदय, मन को पवित्र करिये !! तुम समर्थ सब भाँति तारिणी, तुष्टि, पुष्टि त्राता | सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता !! जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता !!

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