Saturday, 1 October 2016
श्री लक्ष्मी जी की आरती
श्री लक्ष्मी जी की आरती (हिन्दी में)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता || ॐ जय ||
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता,
सूर्य-चन्द्रमाँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता || ॐ जय ||
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपत्ति दाता,
जो कोई तुम को ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता || ॐ जय ||
तू ही है पाताल निवासिनी, तुम ही है शुभ दाता
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भवनिधि की दाता || ॐ जय ||
जिस घर तुम रहती, सब सदगुण आता,
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता || ॐ जय ||
तुम बिन यज्ञ न होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुम से आता || ॐ जय ||
शुभ गुण सुन्दर मुक्ता क्षीर निधि जाता,
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता || ॐ जय ||
श्री लक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता,
उर आनंद अति उपजे, पाप उतर जाता || ॐ जय ||
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