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Sunday, 4 September 2016
गाइये गणपति गजवंदन
स्तुति गाइये गणपति जगवंदन | शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥ सिद्धी सदन गजवदन विनायक | कृपा सिंधु सुंदर सब लायक़ ॥ मोदक प्रिय मृद मंगल दाता | विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥ मांगत तुलसीदास कर ज़ोरे | बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥ 
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