Thursday, 1 September 2016

लंबी उम्र और आरोग्य - कृपाचार्य जप

कृपाचार्य- महाभारत काल में कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के कुलगुरु थे। कृपाचार्य गौतम ऋषि पुत्र हैं और इनकी बहन का नाम है कृपी। कृपी का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ था। कृपाचार्य, अश्वथामा के मामा हैं। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य ने भी पांडवों के विरुद्ध कौरवों का साथ दिया था। Facebook Whatsapp 4 of 10 अश्वथामा- ग्रंथों में भगवान शंकर के अनेक अवतारों का वर्णन भी मिलता है। उनमें से एक अवतार ऐसा भी है, जो आज भी पृथ्वी पर अपनी मुक्ति के लिए भटक रहा है। ये अवतार हैं गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा का। द्वापरयुग में जब कौरव व पांडवों में युद्ध हुआ था, तब अश्वत्थामा ने कौरवों का साथ दिया था। महाभारत के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने ही अश्वत्थामा को चिरकाल तक पृथ्वी पर भटकते रहने का श्राप दिया था। अश्वथाम के संबंध में प्रचलित मान्यता... मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किलोमीटर दूर एक किला है। इसे असीरगढ़ का किला कहते हैं। इस किले में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि अश्वत्थामा प्रतिदिन इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने आते हैं। Facebook Whatsapp 4 of 10 ऋषि मार्कण्डेय- भगवान शिव के परम भक्त हैं ऋषि मार्कण्डेय। इन्होंने शिवजी को तप कर प्रसन्न किया और महामृत्युंजय मंत्र सिद्ध किया था। इसी कारण वे चिरंजीवी बन गए। Facebook Whatsapp 4 of 10 विभीषण- राक्षस राज रावण के छोटे भाई हैं विभीषण। विभीषण श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। जब रावण ने माता सीता हरण किया था, तब विभीषण ने रावण को श्रीराम से शत्रुता न करने के लिए बहुत समझाया था। इस बात पर रावण ने विभीषण को लंका से निकाल दिया था। विभीषण श्रीराम की सेवा में चले गए और रावण के अधर्म को मिटाने में धर्म का साथ दिया। Facebook Whatsapp 4 of 10 राजा बलि- शास्त्रों के अनुसार राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं। बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार को अपना सब कुछ दान कर दिया था। इसी कारण इन्हें महादानी के रूप में जाना जाता है। राजा बलि से श्रीहरि अतिप्रसन्न थे। इसी वजह से श्री विष्णु राजा बलि के द्वारपाल भी बन गए थे। Facebook Whatsapp 4 of 10 ऋषि व्यास- ऋषि भी अष्ट चिरंजीवी हैं और इन्होंने चारों वेद (ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद) का सम्पादन किया था। साथ ही, इन्होंने ही सभी 18 पुराणों की रचना भी की थी। महाभारत और श्रीमद्भागवत् गीता की रचना भी वेद व्यास द्वारा ही की गई है। इन्हें वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता है। वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे। इनका जन्म यमुना नदी के एक द्वीप पर हुआ था और इनका रंग सांवला था। इसी कारण ये कृष्ण द्वैपायन कहलाए। Facebook Whatsapp 4 of 10 परशुराम- भगवान विष्णु के छठें अवतार हैं परशुराम। परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका थीं। इनका जन्म हिन्दी पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ था। इसलिए वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है। परशुराम का जन्म समय सतयुग और त्रेता के संधिकाल में माना जाता है। परशुराम ने 21 बार पृथ्वी से समस्त क्षत्रिय राजाओं का अंत किया था। परशुराम का प्रारंभिक नाम राम था। राज ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था। शिवजी तपस्या से प्रसन्न हुए और राम को अपना फरसा (एक हथियार) दिया था। इसी वजह से राम परशुराम कहलाने लगे।

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