राम को अपने गुरु की आज्ञा का पालन करना ही था इसलिए भगवान श्रीराम ने हनुमान पर बह्रमास्त्र चलाया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से राम नाम का जप कर रहे हनुमान का ब्रह्मास्त्र भी कुछ नहीं बिगाड़ पाया। यह सब देखकर नारद मुनि विश्वामित्र के पास गए और अपनी भूल स्वीकार की।
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