दुनिया बनाने वाले महिमा तेरी निराली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
ऊचे शिखर गिरी के आकाश चूमते हैं।
वृक्षों के झुरमुटे भी वायु में झूमते हैं।
सरिताएं बहती कल कल शीतल से नीर वाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
कही वृक्ष है रसीले कही झाड है कटीले।
कही रेत के है टीले सरोवर कही है नीले।
ये आसमान देखो कैसी सजी दिवाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
सब प्राणियों के जग में तूने बनाए जोड़े।
दुर्जन अधीक बनाए सज्जन बनाए थोड़े।
घोड़े बनाए तूने सिंह हाथी शक्तिशाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
जुगनू की दूम में तूने कैसा बल्ब लगाया।
बरसात की निशाँ में जंगल है जगमगाया।
बिजली चमक है कैसी घन की घटा है काली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
संसार की नदी सब सागर में जा रही हैं।
सागर की तरंगें भी गुण तेरे ही गा रही हैं।
इस विश्व वाटिका का केवल प्रभु है माली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
बच्चे किसी पे दर्जन टुकडो के भी हैं लाले।
संतान बिन किसी के घर पे लगे हैं ताले।
यूनान का सिकंदर गया करके हाथ खाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
आवागमन का देखो कैसा ये सिलसिला है।
थे कर्म जिसके जैसे वैसा ही फल मिला है।
अंगूर कैसे मिलते बोई थी जब निम्बोली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
फूलो का चूस के रस कैसा मधु बनाए।
मधुमक्खी में तूने क्या यंत्र हैं लगाए।
मधु सबके मन को है भाय चाहे लाला हो या लाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
पत्तो को खाके कीड़ा रेशम बना रहा है।
है कौन जो उदर में चरखा चला रहा है।
बुन बुन के आ रहा है रेशम का लच्छा जाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
बरसात के दिनों में लेंटर टपकते देखा।
बैये के घोसले में पाई ना जल की रेखा।
क्या तकनिकी सिखाई तूने हे शिल्प शाली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
॥ दुनिया बनाने वाले...॥
दुनिया बनाने वाले महिमा तेरी निराली।
चन्दा बनाया शीतल सूरज में आग डाली।
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