Friday, 23 March 2018

दुर्गा सप्तशती सिद्ध मंत्र

दुर्गा सप्तशती के सिद्ध-मंत्र के मंत्र कुछ इस प्रकार है:

आपत्त्ति उद्धारक
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तु ते ॥

भयनिवारक
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते।
भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तु ते ॥

पापनाशक
हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥

रोगनाशक
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥

पुत्र प्राप्ति के लिये
देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥

इच्छित फल प्राप्ति
एवं देव्या वरं लब्ध्वा सुरथः क्षत्रियर्षभः

महामारी नाशक
जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तु ते ॥

शक्ति प्राप्ति के लिये
सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तु ते ॥

इच्छित पति प्राप्ति के लिये
ॐ कात्यायनि महामाये महायेगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुते देवि पतिं मे कुरु ते नमः ॥

इच्छित पत्नी प्राप्ति के लिये
पत्नीं मनोरामां देहि मनोववृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसार-सागरस्य कुलोभ्दवाम् ॥

जय माँ शक्ति की जय

Tuesday, 20 March 2018

श्री स्वामी समर्थ

"श्री स्वामी समर्थ"⚘👏

कृपासिंधु "श्री स्वामी समर्थ⚘👏

स्वामींच्या दरबारी काय कमी!
स्वामीच देतील हजार हातांनी!!
महाराज श्री स्वामी समर्थ !
जय जय स्वामी समर्थ ॥धृ॥

अक्कलकोटी स्वामी दरबारी !
भाग्य उजळले जीवनकारी !!
करुणा उजळे नयनातुनी ।
मोक्ष सुखाचे व्हावे धनी ॥१॥

लीन मनाने पसरा झोळी !
देई सारे स्वामी माऊली !!
कुणी न जाई रित्या करांनी !
साद घाला हदयातुनी ॥२ ॥

शांती सुखाच्या स्वामी दरबारी !
कुणीही यावे दर गुरुवारी !!
जाणील सदगुरु ह्रदयातुनी !
स्वामीच आम्हां चिंतामणी ॥३॥

स्वामींच्या दरबारी  काय कमी
महाराज श्री स्वामी समर्थ
जय जय श्री स्वामी समर्थ

"स्वामी ॐ माऊली " ⚘👏
"श्री गुरुदेव दत्त"⚘👏

Saturday, 17 March 2018

दुर्गा सप्तशती मंत्र

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तूते ll

नमो दैव्ये महा दैव्ये शिवायः सततः नमः
नमो प्रकृत्ये भद्राये प्राणतास्मतः

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तु ते ॥

भयनिवारक

सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते।
भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तु ते ॥

पापनाशक

हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥

रोगनाशक

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥

पुत्र प्राप्ति के लिये

देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥

इच्छित फल प्राप्ति

एवं देव्या वरं लब्ध्वा सुरथः क्षत्रियर्षभ

महामारी नाशक

जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तु ते ॥

शक्ति प्राप्ति के लिये

सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तु ते ॥

इच्छित पति प्राप्ति के लिये

ॐ कात्यायनि महामाये महायेगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुते देवि पतिं मे कुरु ते नमः ॥

इच्छित पत्नी प्राप्ति के लिये

पत्नीं मनोरामां देहि मनोववृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसार-सागरस्य कुलोभ्दवाम् ॥

जय माँ शक्ति की जय

नवदुर्गा स्तोत्रं


देवी  शैलपुत्री :


वन्दे  वांछतलाभाय   ,चंद्रार्धकृतशेखरां  |

वृषारूढां  शूलधरां  शैलपुत्री  यशस्विनीं ||

देवी  ब्रह्मचारिणी :

दधाना  करपद्माभ्यामक्षमाला  कमण्डलू |

देवीप्रसीदतु  मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा  ||

देवी  चन्द्रघण्टा:

 पिण्डजप्रवरारुढा  चण्डकोपास्त्रकैर्युता  |

प्रसादं  तनुते  माध्यम  चन्द्रघण्टेति  विश्रुता  ||

देवी  कुष्माण्डा:

 सुरासम्पूर्णकलशं  रुधिराप्लुतमेव  च  |

दधाना  हस्तपद्माभ्यां  कूष्माण्डा शुभदास्तु  मे ||

देवी  स्कन्दमाता :

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चितकरद्वया  |

शुभदास्तु  सदा  देवी  स्कन्दमाता  यशस्विनी  ||

देवी  कात्यायनी :

 चंद्रहासोज्ज्वलकरा   शार्दूलवरवाहना  |

कात्यायनी  शुभम  दद्याद  देवी  दानवघातिनी  ||

देवी  कालरात्रि :

एकवेणी  जपाकर्णपूरा  नग्न  खरास्थिता  |

लम्बोष्ठी  कार्णिक  करनी  तैलाभ्यक्तशरीरिणी  ||

वाम  पादोल्लसल्लोहलता  कान्ताक्भुषणा  |

बर्धन  मूर्धामे  ध्वजा  कृष्ना  कालरात्रिर्भयंकरी  ||

देवी  महागौरी :

श्वेते  वृषेसमारूढा  श्वेताम्बरधरा  शुचिह  |

महागौरी  शुभम  दद्यान्महादेव  प्रमोददा ||

देवी  सिद्धिदात्री :

सिद्ध  गन्धर्व  यक्षदयिरसुरैरमरैरपि  |

सेव्यमाना  सदाभूयात  सिद्धिदा  सिद्धिदायिनी  ||


Tuesday, 13 March 2018

सात वार के सात विजयी तिलक

*सात वार के सात विजयी तिलक::-*
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► *सोमवार::-*

सोमवार का दिन भगवान शंकर का दिन होता है तथा इस वार का स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। चंद्रमा मन का कारक ग्रह माना गया है। मन को काबू में रखकर मस्तिष्क को शीतल और शांत बनाए रखने के लिए आप सफेद चंदन का तिलक लगाएं। इस दिन विभूति या भस्म भी लगा सकते हैं।

► *मंगलवार::-*

मंगलवार को हनुमानजी का दिन माना गया है। इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है।मंगल लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में विकास होता है। इससे मन की उदासी और निराशा हट जाती है और दिन शुभ बनता है।

► *बुधवार::-*

बुधवार को जहां मां दुर्गा का दिन माना गया है वहीं यह भगवान गणेश का दिन भी है।इस दिन का ग्रह स्वामी है बुध ग्रह। इस दिन सूखे सिंदूर (जिसमें कोई तेल न मिला हो) का तिलक लगाना चाहिए। इस तिलक से बौद्धिक क्षमता तेज होती है और दिन शुभ रहता है।

► *गुरुवार::-*

गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। बृहस्पति ऋषि देवताओं के गुरु हैं। इस दिन के खास देवता हैं ब्रह्मा। इस दिन का स्वामी ग्रह है बृहस्पति ग्रह।गुरु को पीला या सफेद मिश्रित पीला रंग प्रिय है। इस दिन सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए। हल्दी या गोरोचन का तिलक भी लगा सकते हैं। इससे मन में पवित्र और सकारात्मक विचार तथा अच्छे भावों का उद्भव होगा जिससे दिन भी शुभ रहेगा और आर्थिक परेशानी का हल भी निकलेगा।

► *शुक्रवार::-*

शुक्रवार का दिन भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मीजी का रहता है। इस दिन का ग्रह स्वामी शुक्र ग्रह है।हालांकि इस ग्रह को दैत्यराज भी कहा जाता है। दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य थे। इस दिन लाल चंदन लगाने से जहां तनाव दूर रहता है वहीं इससे भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि होती है। इस दिन सिंदूर भी लगा सकते हैं।

► *शनिवार::-*

शनिवार को काली, हनुमान शनि और यमराज का दिन माना जाता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है शनि ग्रह।शनिवार के दिन विभूत, भस्म या लाल चंदन लगाना चाहिए जिससे भैरव महाराज प्रसन्न रहते हैं और किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होने देते। दिन शुभ रहता है।

► *रविवार:-*

रविवार का दिन भगवान विष्णु ,भैरव और सूर्य का दिन रहता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है सूर्य ग्रह जो ग्रहों के राजा हैं। इस दिन लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं। भगवान विष्णु की कृपा रहने से जहां मान-सम्मान बढ़ता है वहीं निर्भयता आती है।

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Sunday, 11 March 2018

नागेंद्रहाराय त्रैलोचनाय भस्मानगरागाय

मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए शिव जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥

अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।

Saturday, 10 March 2018

अशी लीला आहे माझ्या अक्कलकोट स्वामींची

!! Om Shri Swami Samarth Maharaj !!

श्री स्वामी समर्थ

तूज जवळ येता,
शांती लाभे मनाची।
मग्न होतो तुझ्यात जशी फिरे कांडी जादूची|
अशी आहे लीला माझ्या अक्कलकोट स्वामींची ||

कधी प्रेमळ असे तर कधी कठोर|
कधी निरागस असे तर कधी खोडकर|
ही आहे किमया तुझ्या या नजरेची|
अशी आहे लीला माझ्या अक्कलकोट स्वामींची||

गर्व करणार्यास शासन।
शरण येणार्यास आसन।
हीच असे रीत तुझ्या दरबाराची।
अशी आहे लीला माझ्या अक्कलकोट स्वामींची||

जो मनापसूनी तुझा झाला।
जो भक्तीने तुझ्या चरणी आला।
त्याला भीती नसे या जगाची। अशी आहे लीला माझ्या अक्कलकोट स्वामींची||

पाहूनी तुला नेत्र नमती।
मूखही तूझेच नाम घेती।
भव्य आहे, दिव्य आहे शक्ती तुझ्या तेजाची।
अशी आहे लीला माझ्या अक्कलकोट स्वामींची||

तू आहेस माय-बाप माझा। सखा-सोबतीही तूच आहेस।
अशीच छत्रछाया असूदे तुझ्या अगणित प्रेमाची।
अपरंपार लीला आहे माझ्या अक्कलकोट स्वामींची||

Friday, 9 March 2018

नौकरी या व्यवसाय

दोस्तों हम 12th तक पड़ते है
उसके बाद 3 साल का Graduetion
उसके बाद 2 साल की
*मास्टर डिग्री* 17 साल पढ़ाई की
उसके बाद किसी *कंपनी*
इंटरव्यू के लिए जाते है।
पढ़ाई में लाखो रूपये खर्च करने के बाद
सामने बैठा हुआ शक्स यह निर्णय लेता है कि
आपको महीने में कितनी सेलेरी मिलेगी।
1 बात सोचो की पढ़ाई की आपने पैसा लगाया आपने
तो वो सामने बैठने वाला शख्स कोन होता है आपके दाम लगाने वाला।
की आपको कितनी सेलेरी देना चाहिए

इसमें आपकी कोई गलती नहीं है दोस्तों
दरअसल आप जहाँ रहते है
आपके *माता-पिता* आपके पडोसी रिश्तेदार लोगो ने आपके दिमाग में एक ही बात डाल रखी है
की बेटा तुमको अच्छे से पढ़ाई करना है और एक अच्छी *नोकरी* करना है
ये *नोकरी* करने का *कीड़ा* सब लोगो ने आपके दिमाग में भर रखा है।
*लेकिन*
एक बार सोचो की *नोकरी* करने से क्या होता है
आप अपने  दिन के *24 घंटो* में से *10 घंटे* आपके बॉस को देते हो और उनसे *10000* रूपये लेते हो
कोई कोई दिन के *14 घंटे* देकर *15000* रूपये लेता है
इसका मतलब साफ़ है कि आप अपना *समय* *बेंच* रहे हो
आप आपके बॉस को *1 लांख* का प्रॉफिट देते हो तब जाकर आपको *10 हजार* रूपये मिलते है
सीधा गणित है आपको आपकी *मेहनत* का *10%* मिलता है
आपके जैसे हजारो लोग
*1 कंपनी* में काम करते है

आपका बॉस आपका
*Time*
*Talent*
*Quality*
*Effort*
*Luck*
सब इस्तेमाल करता है उसके बदले में आपको कुछ हजार रूपये देता हैं
लेकिन दोस्तों सोचिये
जब आपके
*टाइम*
*टेलेंट*
*लक*
*क्वालिटी*
*एफर्ट*
इस्तेमाल करके आपका बॉस *करोड़पति* बन सकता है
तो
आप खुद अपना
*टाइम*
*टेलेंट*
*लक*
*क्वालिटी*
*एफर्ट*
खुद के लिए इस्तेमाल करेंगे तो तो क्या आप करोड़पति नही बन सकते हो

नोकरीं करने वाला हमेशा
अपने आप से *समझौता* करता है
न *अच्छी बाइक* होती है।
न *कार* होती है।
न *अच्छा घर* है।
न *घूमना फिरना* होता है।
न ही कोई *लाइफस्टाइल* होती है।

दोस्तों हमारे देश के प्रधानमंत्री
*मोदी जी* भी बोल रहे है
*स्वरोजगार* करो
दोस्तो हम एक बहुत बड़े ग्लोबल प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है कुछ कामयाब लोगो के साथ जिसमे हमे
दोस्तों यदि हम *direct selling*
में work करे तो हम भी अपने सारे *सपने* पूरे कर सकते है
*Direct selling* 2018 का सबसे तेज़ी से आगे बढ़ने वाला *Bussiness* है।
आइये आज ही हम मिलके शुरूवात करते हैं.
डायरेक्ट-सैलिंग बिज़नेस  इसे अपने काम के साथ-साथ भी कर सकते .....
Anand kumar
Gold Director
9308092066

Thursday, 8 March 2018

ग्रामपंचायत 7/12 ,गाव नमुना नोंदवही

*कृपया पोस्ट वाचावी अत्यंत महत्वाचे आहे.*

१ हेक्टर = १०००० चौ. मी .
१ एकर = ४० गुंठे
१ गुंठा = [३३ फुट x ३३ फुट ] = १०८९ चौ फुट
१ हेक्टर= २.४७ एकर = २.४७ x ४० = ९८.८ गुंठे
१ आर = १ गुंठा
१ हेक्टर = १०० आर
१ एकर = ४० गुंठे x [३३ x ३३] = ४३५६० चौ फुट
१ चौ. मी . = १०.७६ चौ फुट
७/१२ वाचन करते वेळी पोट खराबी हे वाक्य असत—त्याचा अर्थ पिक लागवडी साठी योग्य नसलेले क्षेत्र —परंतु ते मालकी हक्कात मात्र येत!!!!!
नमुना नंबर ८ म्हणजे एकूण जमिनीचा दाखला या मध्ये अर्जदाराच्या नावावर असलेली त्या विभागातील [तलाठी सज्जा] मधील जमिनीचे एकूण क्षेत्र याची यादी असते!!!!
जमिनी ची ओळख हि त्याच्या तलाठी यांनी प्रमाणित केलेली आणि जागेशी सुसंगत असलेल्या चतुर्सिमा ठरवितात!!!!

*ग्रामपंचायत*
एक स्वराज्य संस्था जिथे स्थानिक निर्णय घेण्याचे स्वातंत्र्य असते (घटनेच्या चौकटीत राहून) तसेच स्वयंपूर्तीसाठी विविध योजना तयार करून राबविण्याची संपूर्ण अधिकार असलेली घटनात्मक संस्था.
आपणास आवश्‍यक असलेली माहिती कोणत्या नोंदवहीत असते याबाबत ही माहिती.
* *गाव नमुना नंबर - 1* - या नोंदवहीमध्ये भूमी अभिलेख खात्याकडून आकारबंध केलेला असतो, ज्यामध्ये जमिनीचे गट नंबर, सर्व्हे नंबर दर्शविलेले असतात व जमिनीचा आकार (ऍसेसमेंट) बाबतती माहिती असते.
* *गाव नमुना नंबर - 1अ* - या नोंदवहीमध्ये वन जमिनीची माहिती मिळते. गावातील वन विभागातील गट कोणते हे समजते. तशी नोंद या वहीत असते.
* *गाव नमुना नंबर - 1ब* - या नोंदवहीमध्ये सरकारच्या मालकीच्या जमिनीची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 1क* - या नोंदवहीमध्ये कुळ कायदा, पुनर्वसन कायदा, सिलिंग कायद्यानुसार भोगवटादार यांना दिलेल्या जमिनी याबाबतची माहिती असते. सातबाराच्या उताऱ्यामध्ये नवीन शर्त असल्यास जमीन कोणत्या ना कोणत्या तरी पुनर्वसन कायद्याखाली किंवा वतनाखाली मिळालेली जमीन आहे असे ठरविता येते.
* *गाव नमुना नंबर - 1ड* - या नोंदवहीमध्ये कुळवहिवाट कायदा अथवा सिलिंग कायद्यानुसार अतिरिक्त जमिनी, त्यांचे सर्व्हे नंबर व गट नंबर याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 1इ* - या नोंदवहीमध्ये गावातील जमिनींवरील अतिक्रमण व त्याबाबतची कार्यवाही ही माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 2* - या नोंदवहीमध्ये गावातील सर्व बिनशेती (अकृषिक) जमिनींची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 3* - या नोंदवहीत दुमला जमिनींची नोंद मिळते. म्हणजेच देवस्थाना साठीची नोंद पाहता येते.
* *गाव नमुना नंबर - 4* - या नोंदवहीमध्ये गावातील जमिनीचा महसूल, वसुली, विलंब शुल्क याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 5* - या नोंदवहीत गावाचे एकूण क्षेत्रफळ, गावाचा महसूल, जिल्हा परिषदेचे कर याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 6* - (हक्काचे पत्रक किंवा फेरफार) या नोंदवहीमध्ये जमिनीच्या व्यवहारांची माहिती, तसेच खरेदीची रक्कम, तारीख व कोणत्या नोंदणी कार्यालयात दस्त झाला याची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 6अ* - या नोंदवहीमध्ये फेरफारास (म्युटेशन) हरकत घेतली असल्यास त्याची तक्रार व चौकशी अधिकाऱ्यांचा निर्णय याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 6क* - या नोंदवहीमध्ये वारस नोंदीची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 6ड* - या नोंदवहीमध्ये जमिनीचे पोटहिस्से, तसेच वाटणी किंवा भूमी संपादन याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 7* - (7/12 उतारा) या नोंदवहीमध्ये जमीन मालकाचे नाव, क्षेत्र, सर्व्हे नंबर, हिस्सा नंबर, गट नंबर, पोट खराबा,आकार, इतर बाबतीची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 7अ* - या नोंदवहीमध्ये कुळ वहिवाटीबाबतची माहिती मिळते. उदा. कुळाचे नाव, आकारलेला कर व खंड याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 8अ* - या नोंद
वहीत जमिनीची नोंद, सर्व्हे नंबर, आपल्या नावावरील क्षेत्र व इतर माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 8ब, क व ड* - या नोंदवहीमध्ये गावातील जमिनीच्या महसूल वसुलीची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 9अ* - या नोंदवहीत शासनाला दिलेल्या पावत्यांची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 10* - या नोंदवहीमध्ये गावातील जमिनीच्या जमा झालेल्या महसुलाची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 11* - या नोंदवहीत प्रत्येक गटामध्ये सर्व्हे नंबर, पीकपाणी व झाडांची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 12 व 15* - या नोंदवहीमध्ये पिकाखालील क्षेत्र, पडीक क्षेत्र, पाण्याची व्यवस्था व इतर बाबतीची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 13* - या नोंदवहीमध्ये गावाची लोकसंख्या व गावातील जनावरे याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 14* - या नोंदवहीमध्ये गावाच्या पाणीपुरवठ्याबाबतची माहिती, तसेच वापरली जाणारी साधने याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 16* - या नोंदवहीमध्ये माहिती पुस्तके, शासकीय आदेश व नवीन नियमावली याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 17* - या नोंदवहीमध्ये महसूल आकारणी याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 18* - या नोंदवहीमध्ये सर्कल ऑफिस, मंडल अधिकारी यांच्या पत्रव्यवहाराची माहिती असते.
* *गाव नमुना नंबर - 19* - या नोंदवहीमध्ये सरकारी मालमत्तेबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 20* - पोस्ट तिकिटांची नोंद याबाबतची माहिती मिळते.
* *गाव नमुना नंबर - 21* - या नोंदवहीमध्ये सर्कल यांनी केलेल्या कामाची दैनंदिन नोंद याबाबतची माहिती मिळते.
अशा प्रकारे तलाठी कार्यालयात सामान्य नागरिकांना गाव कामगार तलाठी यांच्याकडून वरील माहिती विचारणा केल्यास मिळू शकते. आपणास आपल्या मिळकतीबाबत व गावाच्या मिळकतीबाबत माहिती मिळाल्यामुळे मिळकतीच्या मालकी व वहिवाटीसंबंधीचे वाद कमी होण्यास व मिटण्यास मदत होऊ शकते असे वाटते.

Copied.

Tuesday, 6 March 2018

छोटी सी जिंदगी है, हर बात मे खुश रहो

छोटी सी ज़िंदगी है
हर बात में खुश रहो 

जो चेहरा पास ना हो
उसकी आवाज में खुश रहो 

कोई रूठा हो तुमसे
उसके इस अन्दाज में खुश रहो 

जो लौट कर नहीं आने वाले
उन लम्हों की याद में खुश रहो 

कल किसने देखा है
अपने आज में खुश रहो 

खुशियों का इन्तजार किस लिए
दूसरों की मुस्कान में खुश रहो 

क्यों तड़पते हो हर पल किसी के साथ को
कभी-कभी अपने आप में खुश रहो 

छोटी सी तो ज़िंदगी है
हर हाल में खुश रहो

पांडुरंग स्तोत्र आणि रामरक्षा

बुधवार पांडुरंग स्त्रोत्र व रामरक्षा
।।ॐ गणेशाय नमः।।
जयश्रीराम

अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य । बुधकौशिक ऋषिः ।
श्रीसीतारामचन्द्रो देवता । अनुष्टुप् छन्दः ।
सीता शक्तिः । श्रीमद् हनुमान कीलकम् ।
श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ॥
॥ अथ ध्यानम् ॥
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थम् ।
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ।
वामाङ्कारूढ सीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभम् ।
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचन्द्रम् ॥
॥ इति ध्यानम् ॥
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥ १॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥ २॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तञ्चरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्रातुं आविर्भूतं अजं विभुम् ॥ ३॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरोमे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥ ४॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियश्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥ ५॥
जिव्हां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥ ६॥
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥ ७॥
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
ऊरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत् ॥ ८॥
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तकः ।
पादौ बिभीषणश्रीदः पातु रामोखिलं वपुः ॥ ९॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत् ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥ १०॥
पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥ ११॥
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापैः भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥ १२॥
जगजैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥ १३॥
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमङ्गलम् ॥ १४॥
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षांमिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥ १५॥
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान् स नः प्रभुः ॥ १६॥
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥ १७॥
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥ १८॥
शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षः कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥ १९॥
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम् ॥ २०॥
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्मनोरथोस्माकं रामः पातु सलक्ष्मणः ॥ २१॥
रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघुत्तमः ॥ २२॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमान् अप्रमेय पराक्रमः ॥ २३॥
इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥ २४॥
रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैः न ते संसारिणो नरः ॥ २५॥
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरम् ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।
राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥ २६॥
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥ २७॥
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥ २८॥
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ २९॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुः ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥ ३०॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥ ३१॥
लोकाभिरामं रणरङ्गधीरम् ।
राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तम् ।
श्रीरामचन्द्रम् शरणं प्रपद्ये ॥ ३२॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगम् ।
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यम् ।
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥ ३३॥
कूजन्तं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥ ३४॥
आपदां अपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥ ३५॥
भर्जनं भवबीजानां अर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम् ॥ ३६॥
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहम् ।
रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥ ३७॥
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्य रामनाम वरानने।
रामरक्षास्त्रोत्र संपूर्ण
श्रीपांडुरंगाष्टकम्
महायोगपीठे तटे भीमरथ्या वरं पुंडरीकाय दातुं मुनीद्रैः ।
समागत्य तिष्टंतमानंदकदं परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगं ॥ १ ॥
तडिद्वाससं नीलमेघावभासं रमामंदिरं सुंदरं चित्प्रकाशम् ।
वरं त्विष्टिकायां समन्यस्तपादं परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगं ॥ २ ॥
प्रमाणं भवाब्धेरिदं मामकानां नितंबः कराभ्यां धृतो येन तस्मात् ।
विधातुर्वसत्यै धृतो नाभिकोशः परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगं ॥ ३ ॥
स्फुरत्कौस्तुभालंकृतं कंठदेशे श्रिया जुष्टकेयूरकं श्रीनिवासम् ।
शिवं शान्तमीड्यं वरं लोकपालं परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगं ॥ ४ ॥ 
शरचंद्रबिबाननं चारुहासं लसत्कुंडलक्रान्तगंडस्थलांगम् ।
जपारागबिंबाधरं कंजनेत्रम् परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगं ॥ ५ ॥
किरीटोज्ज्वलत्सर्वदिक् प्रान्तभागं सुरैरर्चितं दिव्यरत्नैरमर्घ्यैः ।
त्रिभंगाकृतिं बर्हमाल्यावतंसं परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगं ॥ ६ ॥
विभुं वेणुनादं चरन्तं दुरन्तं स्वयं लीलया गोपवेषं दधानम् ।
गवां वृंदकानन्दनं चारुहासं परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगं ॥ ७ ॥
अजं रुक्मिणीप्राणसंजीवनं तं परं धाम कैवल्यमेकं तुरीयम् ।
प्रसन्नं प्रपन्नार्तिहं देवदेवं परब्रह्मलिंगं भजे पांडुरंगं ॥ ८ ॥
स्तवं पांडुरंगस्य वै पुण्यदं ये पठन्त्येकचित्तेन भक्त्या च नित्यम् ।
भवांबोनिधिं तेऽपि तीर्त्वाऽन्तकाले हरेरालयं शाश्र्वतं प्राप्नुवन्ति ॥ ९ ॥
॥ इति श्री परम पूज्य शंकराचार्यविरचितं श्रीपांडुरंगाष्टकं संपूर्णं ॥
मराठी संक्षिप्त अर्थः
१) भीमानदीच्या तीरावर महायोगाचे अधिष्ठान असलेल्या पंढरपूर क्षेत्रांत पुंडरीकाला वर देण्याकरीता श्रेष्ठ मुनींनसह येऊन तिष्टत असलेल्या आनंदकंद परब्रह्मरुप पांडुरंगास मी भजतो.
२) ज्याची वस्त्रे विद्दुलतेप्रमाणे पिवळ्या रंगाची आहेत, ज्याची अंगकांती नीळ्यामेघाप्रमाणे शोभत आहे, जो लक्ष्मीचे निवासस्थान आहे, जोचित्प्रकाश आहे, जो सर्वश्रेष्ठ व भक्तांना दर्शन देण्यासाठी विटेवर उभा आहे अशा आनंदकंद परब्रह्मरुप पांडुरंगास मी भजतो.
३) मला अनन्यभावाने शरण येणार्‍या भक्तांना भवसागर हा फक्त कमरेइतकाच खोल आहे. तो सहज पार करता येतो. हे सांगण्याकरता त्याने कमरेवर हात ठेवले आहेत. ब्रह्मदेवाचा सत्यलोक हाकमरेपासून नाभिस्थान जितके उंच आहे त्यापेक्षा अधिक दूर नाही हे दाखवण्यासाठी त्याने आपली बोटे नाभिस्थानाकडे वळवली आहेत अशा आनंदकंद परब्रह्मरुप पांडुरंगास मी भजतो.
४) आपल्या गळ्यांत कौस्तुभमणी घातल्याने जो अतिशय शोभून दिसत आहे, ज्याच्या बाहूंवर केयूर म्हणजे बाजुबंद शोभत आहेत, ज्याच्याजवळ श्री म्हणजे लक्ष्मीचा निवास आहे. जो लोकांचा पालनकर्ता आहे, अशा त्या परम शांत मंगलमय सर्वश्रेष्ठ व स्तुति करण्यास योग्य असलेल्या आनंदकंद परब्रह्मरुप पांडुरंगास मी भजतो.
५) शरदऋतूंतील चंद्रबिम्बाप्रमाणे अत्यंत रमणीय मुख असलेल्या, मुखावर सुंदर हास्य विलसत असलेल्या, कानांत कुंडले घातल्याने त्यांची शोभा गालावर झळकत असलेल्या, आोठ जास्वंदीच्या फुलाप्रमाणे आरक्त वर्ण असलेल्या व कमळाप्रमाणे सुंदर नेत्र असलेल्या आनंदकंद परब्रह्मरुप पांडुरंगास मी भजतो.
६) ज्याच्या मस्तकावर असलेल्या मुकुटाच्या प्रभेने मुखाभोवतालच्या सर्व दिशा उजळून निघाल्या आहेत, दिव्य आणि अमूल्य रत्ने अर्पण करुन देव ज्याची पूजा करतात, बाळकृष्णरुपाने जो तीन ठिकाणी वाकून उभा आहे, ज्याच्या गळ्यांत वनमाला व मस्तकावर मोरपिसांचा तुरा शोभत आहे त्या आनंदकंद परब्रह्मरुप पांडुरंगास मी भजतो.
७) सर्व विश्र्व व्यापून राहणार्‍या, वेणु वाजवीत वृन्दावनात फिरणार्‍या, ज्याचा कोणाला अतं लागत नाही, लीलेने गोपवेष धारण केलेल्या, गायींच्या कळपाला आनंद देणार्‍या मधुर हास्य करणार्‍या अशा आनंदकंद परब्रह्मरुप पांडुरंगास मी भजतो.
८) ज्याला जन्म नाही, जप रुक्मीणीचा प्राणाधार आहे, भक्तांसाठी परम विश्रामधाम व शुद्ध कैवल्य असलेल्या, जागृति, स्वप्न व सुषुप्ति किंवा बाल्य, तारुण्य व वार्धक्य ह्या तीनही अवस्थांच्या पलीकडे असलेल्या, नेहमी प्रसन्न, शरणागतांचे दुःख हरण करणारा व देवांचाही देव असलेल्या अशा आनंदकंद परब्रह्मरुप पांडुरंगास मी भजतो.
९) अत्यंत पुण्यदायक असलेले, पांडुरंगाचे हे स्तोत्र जे कोणी एकाग्र चित्ताने प्रेमपूर्वक नित्य पठण करतील ते सर्वजण अन्तकाळी भवसागर सहजपणे तरुन जातील आणि त्यांना परब्रह्मस्वरुप श्रीहरीच्या-पांडुरंगाच्या शाश्र्वत स्वरुपाची प्राप्ती होईल. 
अशा रीतीने परम पूज्य शंकराचार्यांनी रचिलेले हे पांडुरंगाष्टकं पुरे झाले.
संदर्भ: सद्विचार दर्शन यांनी प्रकाशित केलेल्या प्रार्थना प्रीति या पुस्तकांमधून मराठी अर्थाचा स्वैर साभार अनुवाद.