Sunday, 31 December 2017

ओम साई राम ओम साई श्याम

ओम साईं राम ओम साईं श्याम ओम साईं भगवान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान, शिर्डी के दाता
सबसे महान -2
करूणा के सागर दया निधान, शिर्डी के दाता सबसे
महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान, शिर्डी के दाता
सबसे महान
साईं चरण की धूल को माथे जो लगाओगे
पुण्य चारों धाम का शिर्डी में ही पाओगे
होगा तुम्हारा वहीँ कल्याण शिर्डी के दाता सबसे
महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान
शिर्डी के दाता सबसे महान
कोई शहंशाह उनको कहे शिव कही तो रूप हैं
छाया हैं वो धर्म की कर्म की वो धूप हैं
पढ़ते जो आये हैं वेद पुराण
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
मानवता के साईं रवि दया के साईं चाँद हैं
साँची प्रेम डोर से रहे वो सबके बंधे हैं
मंदिर मस्जिद एक सामान, शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
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सबको समझते वो एक सा, राजा हो या रंक हो
भेद और भाव के, मिटा रहे कलंक को
सबको समझते निज संतान, शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साईं के द्वार हर घडी सत्य की बरखा हो रही
झूठे इस जहाँ की पाप काले धो रही
करते है सनक का समाधान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
डर रहित कशिश भरी साईं से निर्मल प्रीत लो
दुश्मनी जो कर रहे उनके दिल भी जीत लो
सबपे चलते प्रेम के बन्न
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साईं हमें सीखा रहे सबका मालिक एक है
एक सी नज़र से वो रहे सभी को देख हैं
करते न सहते जो अभिमान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवन शिर्डी के दाता सबसे
महान
साईं के द्वार शीश धार दो घडी जो सो गए
नफरतों के नाग भी विश रहित हो गए
हर एक मुश्किल वो करते आसान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साईं के दर असर होता हर दिली फरियाद का
बेऔलाद पा गए सुख यहाँ औलाद का
बेजान भी वही पावे जान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
दूर अँधेरा कर रही साईं भजन की रोशनी
रोग सोग हर रही साईं नाम संजीवनी
श्रद्धा सबूरी का देते है दान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साफ़ शुद्ध होती है जिन दिलो की भावना
पूरी होती उनकी ही साईं के द्वार कामना
कष्ट मिटते कष्ट निदान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साईं की धुनि से कभी तुम भभूत ले भी लो
हर बला से लड़ने की तुम दैवी शक्ति ले भी लो
जग में बढ़ाते भक्तों की शान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
आस्था में भीग के साईं को जो पुकारते
साईं खिवैया बनके ही उनकी नैया तैरते
मन की दसा वो लेते है जान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
चमत्कार साईं बाबा ने जब निराले थे किये
दिव्या अनोखे पानी से जल गए थे सब दिए
पल में किया था चूर सब अभिमान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
जीन कुर्र दुष्टों ने डर दिलो में भर दिया
सीधे सादे संत ने सही मार्ग उनको दिखा दिया
दया धरम का वो देते है ज्ञान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साईं के द्वार जो झुके मैल मन का साफ़ कर
कुसूर सबके साईं ने माफ़ किये उनको अपनाकर
कहता तभी है सारा जहाँ
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
दुनिया भर की नेमते साईं जी के पास है
मांग ले जो है मांगना फिर क्यों इतना उदास है
सबको ही सुख का देंगे वरदान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
निश्चय वृक्ष को यहाँ फलते हमने देखा है
खोटे सिक्को को भी तो चलते हमने देखा है
श्रद्धा का देते सदा वरदान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
मीठी वाणी का सदा रस यहाँ से मांगिये
कीर्ति और सम्मान संग यश यहाँ से मांगिये
विनती वो लेते भक्तो की मान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साईं जी से योग का कुछ तो ज्ञान लीजिये
आत्मा को सत्य की कुछ खुराक दीजिये
घर बैठे पाओगे तुम भगवान्,
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साई के द्वार मिल गयी जिनको साची नौकरी
साई दया से उनकी तो सात पुस्ते तर गयी
देते अलौकिक खुशियों का दान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
जिस किसी ने साई का जाप दिल से कर लिए
रहमतो से उसने ही अपने घर को भर लिया
रहने न देते दुःख का निशान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
अल्ल्हा युशु सतगुरु प्रभु के तीनो रूप हैं
तीनो को मिला बना साई का ये स्वरुप हैं
पूजा जिनकी करता जहां
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
दूर करलो मन से तुम पहले ये दुर्भावना
प्रीत अगर तुम्हारी सच्ची हो पूर्ण होगी कामना
छल वल लेते पहचान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साई सुधा से अंत हो पाप और संताप का
साई ने सीखा दिया गुर हैं पश्चाताप का
अज्ञानी को देते हैं ज्ञान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
निंदा द्वेष तज के जो साई सरण में आ गए
करुणा और सद्भाव का आनंद वो ही पा गए
सच्चाई पे हैं कुर्बान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
प्रेम अश्रु जो बहा साई चरण को धोएगा
उसके जीवन का जहर पल में अमृत होयेगा
कांटो को करते पुष्प समान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
जिसभी देह को प्राण दे साई का लाड खाएंगे
छोड़ यमराज भी खाली लौट जायेंगे
करते विघ्न का भी निदान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
जहा चढ़े इंसान ही काटते इंसान की
जरुरत हैं वहा बड़ी साई के पावन ज्ञान की
नेकी से रोके बदी का तूफान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
कहता हमको शिर्डी का कण कण ये पुकार के
साई का प्यार पाना तो बीज बोलो प्यार के
प्यार का दूजा नाम भगवान्
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
देख कर दुखियो को जिनके दिल पिघल गए
उनको दया के रूंप में साई बाबा मिल गए
सबको बुलाते वो दयावान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
धोखा जो दोगे साई को खुद ही धोखा खाओगे
लोक और परलोक में कही न बक्शे जाओगे
मैं नहीं ये कहता जहां
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साई जिनको प्यारे हैं वो दीवाने साई के
उनके लिए ही खुल गए दिव्या खजाने साई के
वो नित करते यही गुणगान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
जब कही निर्दोष मन साई को ही बुलाएँगे
छोड़ शिर्डी पल में ही साई दौड़े आएंगे
दुःख हर लेंगे दया के निधान
शिर्डी के दाता सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
करुणा के सागर दया निधान शिर्डी के दाता सबसे
महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता
सबसे महान

मेरे साई की कृपासे सब काम हो रहा है l

मेरे साई की कृपा से
सब काम हो रहा है …..2
करता नहीं मैं कुछ भी
सब काम हो रहा है
करते हो तुम प्रभुवर
मेरा नाम हो रहा है
मेरे साई की कृपा से
सब काम हो रहा है …..2
पतवार के बिना ही
मेरी नाव चल रही है
हैरान है जमाना
मंजिल भी मिल रही है ……2
करता नहीं मैं कुछ भी
सब काम हो रहा है
मेरे साई की कृपा से
सब काम हो रहा है …..2
तुम साथ हो जो मेरे
किस बात की कमी है
किसी और चीज़ की अब
दरकार भी नहीं है ……..2
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करता नहीं मैं कुछ भी
सब काम हो रहा है
मेरे साई की कृपा से
सब काम हो रहा है …..2
मैं तो नहीं हूँ काबिल
तेरा प्यार कैसे पाउ
टूटी हुई वीणा से
गुणगान कैसे गाऊ……..2
तेरी प्रेरणा से ये सब
ये कमाल हो रहा है
मेरे साई की कृपा से
सब काम हो रहा है …..2
करते हो तुम प्रभुवर
मेरा नाम हो रहा है
मेरे साई की कृपा से
सब काम हो रहा है …..5

Saturday, 30 December 2017

हम कथा सुनाते राम सकलगुण ग्राम की l

ओम श्री गणेशाय  ऋद्धि  सिद्धि सहिताय  नमः
ओम  सत्यम शिवम  सुंदरम शिवानी  सहिताय  नमः
पितृ  मातृ नमः , पूज्य गुरुवर नमः
राजा गुरुजन  प्रजा सर्वे  सादर नमः ll

वीणा वादिनी  शारदे रखो हमारा  ध्यान
सम्यक वाणी शुद्ध कर हमको करो प्रदान
सबको विनय  प्रणाम कर सबसे अनुमति मांग
लव कुश ने  छेड़ा  सरस  राम कथा का राग ll

हम कथा सुनाते राम  सकल  गुण ग्राम की
हम  कथा सुनाते  राम सकल  गुण  ग्राम की
ये  रामायण है पुण्य कथा श्री राम  की .2
रामभद्र  के सभी वंशधर
वचन प्रयान धरम धुरंधर
कहे उनकी कथा ये  भूमि  अयोध्या धाम की
यही  जनम  भूमि  है परुषोत्तम गुण  राम की
यही जनम भूमि है परुषोत्तम गुण राम की
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की
चैत्र  शुक्ल नवमी तिथि आयी मध्य  दिवस में  राम
को  लायी
बनकर कौशल्या के  लाला
प्रकट भये हरी  परम कृपाला
राम  के संग  जो भ्राता अाये
लखन , भरत , शत्रुघन  कहाये
गुरु वशिष्ठ से  चारो  भाई
अल्पकाल विद्या सब पायी
मुनिवर विश्वामित्र पधारे, मांगे  दसरथ के धृग तारे
बोले राम लखन निधिया  है हमारे काम  के
हम कथा सुनाते राम सकल गुण ग्राम की
सब  के हृदय अधीर  कर  भरकर कश में तीर
चल  दिए विश्वामित्र  संग लखन और रधुवीर
प्रथम ही  राम तड़िका मारी  की मुनि आश्रम  की
रखवाली
दिन भर बाद  मरीछ   को मार दस योजन किये सागर
पारा
व्यथिक अहिल्या का किया पद रज से  कल्याण
पहुंचे प्रभुवर  जनकपुर  करके  गंगा  स्नान
सिया का भव्य स्वयंवर हैं , सिया का भव्य स्वयंवर हैं
सब की दृष्टि में नाम राम का सबसे ऊपर हैं
सिया का भव्य स्वयंवर है
जनकराज का कठिन प्रण कारण रहे सुनाये
भंग करे जो शिवधनुष ले वाही सिय को पाये
विश्वामित्र का इंगित पाया सहज राम ने धनुष उठाया
भेद किसी को हुआ न ज्ञात
कब शिवधनुष को तोडा रगुनाथ
निकट वृक्ष के आ गए वेळी
सिय जयमाल राम उर मेलि
सुन्दर सास्वत अभिनव जोड़ी
जो उपमा दी जाए सो थोड़ी
करे दोनों धूमिल कांति कोटि रतिकाम की
हम कथा सुनाते पुरुषोत्तम गुण ग्राम की
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की
सब को डुबोकर राम के रास में , लव कुश ने किये जान मन
बस में
आगे कथा बढ़ाते जाए जो कुछ घटा सुनाते जाए
कैसे हुयी विधिना की दृष्टि वक्र सफल हुआ कैकयी का
वो चक्र
राम लखन सीता का वनगमन , वियोग में दसरथ मरण
चित्रकूट और पंचवटी जहा जहा जो जो घटना घाटी
सविस्तार सब कथा सुनाते लव कुश रुके अयोध्या आके
गयाविजय का पर्व मनाया राम को अवध नरेश बनाया
नियति काल और प्रजा ने मिलकर ऐसा जाल बिछाया
दो अविभाज्य आत्माओ पर समय विछोभ का आया
अवध के वासी कैसे अत्याचारी राम सिया के मध्य
राखी संदेह की एक चिंगारी कलंकित कर दी निष्कलंक
देहनारी
चिंतित सिया आये न कोई आंच पति सम्मान पर
नीरव रहे महाराज भी सीता के वन प्रस्थान पर
ममता मई माँओ के नाते पर भी पाला पड़ गया
गुरुदेव गुरुजन जैसे सबके मुख पर ताला पड़ गया
सिय को लखन बिठा के रथ में , छोड़ आये कांटो के पथ में
ज्ञान चेतना नगर वासियो ने जब सब खो डाले
तब सहाय सिया के एक महर्षि बने रखवाले
वाल्मीकि जी मिल गए सिय को जनक सामान पुत्री
वाट वात्सल्य देह आश्रम में दिया स्थान
दिव्य दीप देवी ने जलाये राम के दो सूत सिय ने द्याहे
नंगे पाओ नदिया से भर के लाती हैं नीर
नीर से विषाद के नयन भीगती हैं
लकडिया काटती हैं धन कूट छांटती हैं
विधिना के बाड़ सह सह मुस्काती हैं
कर्त्तव्य भावना के जग के दो पाटो में वो बिना
प्रतिवाद किये पिसती ही जाती हैं
ऐसे में भी पुत्रो को सीखके सरे संस्कार स्वावलम्बी
स्वाभिमानी सबल बनती है
व्रत उपवास पूजा अनुष्ठान करती हैं प्रतिपल नाम बस
राम का ही लेती हैं
जिनकी तानो ने किया ह्रदय विधिं माँ का उनको भी
सदा शुभकामना ही देती हैं
देवी पे जो आपदा हैं विधि की विडम्बना ,या प्रजा
की उठायी हुई आंधी की रेती हैं
जगत की नैया की खिवैया की हैं रानी पर स्वयं की
नैया सिया स्वयं ही झेती हैं
भर्मित संदेही बस टिका टिप्पड़ी ही करे कुछ नहीं सूझे
उन्हें पीछे और आगे काम
धोबियो की दृष्टि बस मैल और धब्बे देखे कपडा बना हो
चाहे कैसी ही धागे का
स्वर्णकार स्वर्ण में सच्चाई की जचायी करे आग्नि में
तपना ही दंड हैं अभागे का
ह्रदयो के स्थान पे पाषाण जहा रखे वहा कैसे प्रभाव हो
सिया के देहत्याग का
महल में पाली बड़ी महल में ब्याही गयी महल का जीवन
परन्तु मिला नाम का
ऐसे समय में महल त्याग वन चली समय था जब देख रेख
विश्राम का
करके संग्राम राम लंका से छुड़ा लाये पर नहीं टुटा जीवन
संग्राम का
तब वनवास में निभाया राम जी का अब वनवास काटे
दिया हुआ राम का
ओह्ह कर्म योगिनी परमपुनिता मात हमारी भगवती
सीता
ओह्ह हम लव कुश रघुकुल के तारे पूज्य पिता श्री राम
हमारे
धन्य हम इन चरणो में आके राम निकट रामायण गए के
जय श्री राम ll

Thursday, 21 December 2017

स्वामी भजन

🌹स्वामी भजन🌷

एकनिष्ठ भक्तांसाठी , स्वामी राज अक्कलकोटी ।
स्वामी स्वामी करा जप । जप करा एक तप।
तप पूर्ण होण्यासाठी , स्वामी राज अक्कलकोटी ।।
सुप्रभाते मानसपूजा । पूजनि श्री स्वामी भजा
एकचित्त होण्यासाठी , स्वामी राज अक्कलकोटी ।।
एकतारी संगे भजन । अर्पूनी तनमन
भजनी रंग येण्यासाठी स्वामी राज अक्कलकोटी ।।
सायांकळ झाल्यावर ती । धुपासंगे पंचारती
एकसुरात होण्यासाठी , स्वामी राज अक्कलकोटी ।।
नित्यनेम असा करीता । रात्र दिन स्वामी स्मरता
सदैव भक्तांसाठी स्वामी राज अक्कलकोटी ।।

🌷श्री गुरुदेव दत्त🌹

Monday, 11 December 2017

स्मरूनी तुला उभा आहे तुझ्या दरबारी

स्मरूंनी तुला उभी आहे तुझ्या दरबारी
प्रार्थना कराया अंतरीचा हा खेळ सारीपाटावरती

अश्रुंनी सजवली तुझ्या फुलांची टोकरी
दु:खानच्या भावनांनी सजवला हा हार ही

अंतरिक मनाच्या भावनांनी सजवली ही
दीपवात आरती.....

घंटा किणकिनाद खरा वाजे चौफेरी
प्रगट होशील आता तरी डोळे दिपून जातील खरी

प्रसन्न मन चित्त तत्त्व विसरुनी
आयुष्य तुझ्या चरणी ठेवीते हेच मी

घेशील मला कवेत तू  ना
पुढचा प्रवास हा माझा तुझ्या खांद्यावरी

संपता संपता उभी राहिले खरी
हीच तुझी परीक्षा समजूनी

माझ्या भावनांना वाट दिलीस
तुझ्या ह्या आशिर्वादानी....

आरती लोटलीकर.

सुर्यपूत्र कर्ण

कर्ण

पांडवांचा वंश होता , भास्कराचा अंश तू …
नियतीने विषदग्ध केला , तो विखारी दंश तू ।

होऊनी रविपुत्र आला , अग्निमय स्फुल्लिंग तू …
तुल्यबळ तुज कोण होते , मुर्तीरूप ज्वाज्वल्य तू ।

लोकलाजेच्या भयाने माऊलीने त्यागले ….
त्या अलंकृत गर्भिणीचे तेजोमय वरदान तू ।

सोडूनी जळी बाळ दिधला , ठेविला फत्तर ऊरी …
हेलकावे खात वाहे , मंत्र बाधित साद तू …।

नियतीने केली हुशारी , अधिरथाचे भाग्य तू …
जन्मुनि एक राजपुत्र , ठरशी रे सूतपुत्र तू ।

थोर तू तव थोरपण रे , थोर त्या कृष्णापरी …
जन्म देऊनी कुंती त्यागे , राधेचा प्रतिपाळ तू ।

कौंतेया , राधेय झाला , बिकट तव जगणे असे …
कर्म कुठल्या जन्मीचे हो शाप ते अनुमान तू …।

न्यायी माता अन पित्याचा पुत्र चुकता मार्ग रे
साथ अन्याया करी , तो आगतिक शीलवान तू ।

लालसा जिंकुनी गेली , राज्यपद तुज लाभले ।
कवडीमोले खरीदला तो कौरवांचा दास तू ।

नकळता घडले गुन्हे, किती संगती कुसंगती …
भागीदारी पापकर्मी, करुनी चुकला खास तू ।

जागला वचनाशी अपुल्या कुंती वा दुर्योधनी …
शिंपुनी नीज रक्त धारा , पाळिले ईमान तू ।

दानशूर तुजसा न जगती , दशदिशा महिमा असा
कवच कुंडल हसुनी त्यागी , एक तो धनवान तू ।

सत्वशील अन सदगुणांचा मुर्तीमय अभिवेष तू …
शर्थ शौर्याची घडावी , चंड चंड प्रताप तू ।

भार्गवांचा शिष्य बनुनी अर्जीली विद्या तुवा …
त्या गुरूंचा शाप वाही , जन्मभरी अभिशाप तू ।

सूर्य तळपे जव नभी तू तळपला समरांगणी …
पांडवांशी झुंजला बघ पांडवांचा जेष्ठ तू ।

दुर्जनाची साथ देता , हो कलंकित जीवना
चक्र धरणीने गिळावे , वाहसी बहु शाप तू ।

थोर योद्धा , थोरवी तव , ना दुजी जगती असे
हाय कर्णा , भास्कराचे दाह भरले सत्य तू ।

मात तुज देऊ न शकला वीर पांडव एकही …
घात करुनी कृष्ण भेदे , तो चिरंतन ठाव तू ।

देह जरी त्यागुनी गेला , अमर झाला जन मनी …
सुर्यापुत्रा , तव पित्याचा दिग्दिगन्त प्रकाश तू ।

वन्दुदे वा निन्दुदे मज, जन जगी हसू दे किती …
प्रिय मज तू सुर्यापुत्रा , अद्वितीय सा उपहास तू ।

Mrs.  Ujjwala Mudappu

ध्यान - meditation

ध्यान= Meditation
*ध्यान म्हणजे काय?*
ध्यान म्हणजे सतत बडबड करणार्‍या अस्वस्थ मनाला शांत करणे ! त्यासाठी आपण श्वासापासून सुरूवात कर!ध्यानाची पध्दत अगदी सोपी आहे.
डोळे बंद करा व आपल्या नैसर्गिक श्वासाबरोबर रहा. ध्यान मनातील अस्वस्थ कंपने शांत करते, त्यामुळे त्यातून आत्मशक्‍ति, ऊर्जा जपली जाते, जी चांगले आरोग्य,मनःशांती व जीवनाच्या विवेक-ज्ञानाकडे नेते.
ध्यानाचे फायदे
आध्यात्मिक स्वास्थ्य हे मुळ आहे आणि शारीरीक आरोग्य हे फळ आहे.
ध्यान हे आपल्या स्वत:च्या प्रयत्नांनी आपल्या जीवनाला दिलेले सर्वात मोठे बक्षिस आहे ! आपण आपल्या स्वत:ला खूप काही देऊ शकतो !
*ताबडतोब बरे होणे*
सर्व शारीरिक पिडा या मानसिक काळज्यांमुळे होतात. सर्व मानसिक काळज्या बौध्दिक अपरिपक्वपणामुळे निर्माण होतात. बौध्दिक परिपक्वता ही आध्यात्मिक उर्जा कमी पडल्याने आणि आध्यात्मिक विवेकज्ञान कमी असल्याकारणाने येते. ध्यान करून आपल्याला भरपूर आध्यात्मिक उर्जा व आध्यात्मिक विवेकज्ञान मिळते, तेव्हा बुध्दीमत्ता पूर्ण विकसित होते, लवकरच सर्व मानसिक चिंता संपतात. परिणामस्वरूप सर्व शारीरिक आजार नाहीसे होतात. सर्व आजार बरे करण्याचा ध्यान हाच एक मार्ग आहे. पूर्वी केलेल्या वाईट कर्मांमुळे रोग होत असतात. दुष्कृत्यांचे निराकारण झाल्याविना रोग नाहिसे होणार नाहीत. दुष्कृत्यांचे परिमार्जन होण्यासाठी कोणत्याही औषधांचा उपयोग होणार नाही.
स्मरणशक्ती वाढते
ध्यानातून मिळविलेली भरपूर आध्यात्मिक उर्जा मेंदूला उत्तम प्रकारे व जास्तीत जास्त क्षमतेने कार्य करण्यास मदत करते. ध्यानाने स्मरणशक्ति जबरदस्त वाढते म्हणून सर्व विद्यार्थ्यांसाठी ध्यान नितांत आवश्यक आहे. शाळा आणि विद्यापीठ या दोन्ही पातळ्यांवर...........
वाईट सवयी नष्ट होतात
खूप खाणे, जास्त झोपणे, खूप बोलणे, अती विचार करणे, अती मद्यपान करणे, तंबाखू खाणे, इ. अनेक वाईट सवयी असतात. ध्यान करून मिळवलेले भरपूर विवेकज्ञान आणि आध्यात्मि्क ऊर्जा यामुळे सर्व वाईट सवयी आपोआप सुटतात.
मन आनंदी होते
कोणत्याही व्यक्तीसाठी आयुष्य हे पराभव, अपमान आणि वेदना यांनी पूर्ण भरलेले असते. तथापि आध्यात्मिक ज्ञान नि आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त केलेल्या व्यक्तींचे जीवन सर्व पराभव, अपमान आणि वेदना असूनही नेहमी शांत व आनंदी असते.
कार्यक्षमता वाढते
भरपूर आध्यात्मिक उर्जा आणि आध्यात्मिक विवेकज्ञान यांच्या अस्तित्वाने सर्व कामे, मग ती शारीरिक असोत वा मानसिक, अधिक कार्यक्षमतेने केली जातात. थोड्या वेळात जास्त कामे पूर्ण होतात. किमान साधने वापरून कौतुकास्पद कामे केली जातात.
झोपेचे तास कमी होतात
ध्यानात मुबलक आध्यात्मिक उर्जा मिळविली जाते. त्यामानाने झोपेत फक्त काही अंश-फार कमी ऊर्जा मिळते. शरीराला मिळणारी विश्रांती आणि मनाला मिळणारी ऊर्जा यांचा विचार करता अर्ध्या तासाचे सखोल ध्यान हे सहा तासांच्या झोपेबरोबरचे असते
दर्जेदार नातेसंबंध
आध्यात्मिक विवेक, ज्ञानाची कमतरता हेच परस्पर संबंध इतके समाधानकारक व दर्जेदार नसल्याचे एकमेव कारण आहे. आध्यात्मिक विवेकज्ञान प्राप्त झाल्याने परस्पर नातेसंबंध अतिशय दर्जेदार व पूर्ण समाधानकारक होतात.
विचारशक्ती वाढते
आपल्या लक्ष्यापर्यंत पोहोचण्यासाठी विचारांमध्ये शक्तींची गरज असते. मनाच्या अस्वस्थ अवस्थेत निर्माण होणारे विचार किमान शक्तीचे असतात. त्यामुळे ते आपापल्या लक्ष्यापर्यंत पोहोचत नाहीत. तथापि मन शांत असलेल्या स्थितीत विचार मोठी शक्ति मिळवितात आणि सर्व इच्छा नाटयपूर्ण रितीने प्रत्यक्षात येतात.
🏻जीवनाचा उद्देश
आपण सर्व जन्म घेतो तो विशिष्ट हेतू ठेऊन, विशेष कामाकरीता, विशिष्ट रचना व विशिष्ट योजनेसह. हे फक्त आध्यात्मिकतेने परिपक्व झालेले लोकच समजू शकतात व त्यांच्या जीवनाचा विशिष्ट हेतू, विशेष कार्य, रचना आणि योजना जाणून घेऊ शकतात.
ध्यान का करावे?
ध्यानामध्ये काय ताकद आहे?
सामुहिक ध्यान साधनेचे महत्व काय आहे?
जेव्हां १०० लोक एकत्रितपणे साधना करतात तेंव्हा त्यांच्या लहरी जवळजवळ ५ कि.मी. पर्यंत पसरतात आणि नकारात्मकता नष्ट करून सकारात्मकता निर्माण करतात.
आइन्स्टाईनने शास्त्रीय दृष्टिकोनातुन सांगितले आहे की एका अणुचे विघटन केल्यास तो त्याच्या शेजारील अनेक अणूंचे विघटन करतो. त्यालाच आपण अणुविस्फ़ोट म्हणतो.
हीच गोष्ट आपल्या ऋषी-मुनीनी आपल्याला हजारो वर्षांपूर्वी सांगितली आहे की पृथ्वीवरील केवळ ४% लोकच ध्यान करतात, त्याचा फायदा उर्वरीत ९६% लोकांना होतो. आपणसुद्धा जर ९० दिवस सलग ध्यान केले तर आपल्या कुटुंबातील इतर व्यक्तींवरील सकारात्मक परिणाम आपल्यास दिसून येईल.
जर पृथ्वीवरील केवळ १०% लोक ध्यान करतील तर पृथ्वीवरील सर्व समस्या नष्ट करण्याची ताकद ध्यानामध्ये आहे.
महर्षी महेश योगी यांनी १९९३ मध्ये शास्त्रज्ञांपुढे हे सिद्ध केले आहे. त्यांनी ४००० शिक्षकांना वॉशिंग्टन डी सी मध्ये बोलावून त्यांना एक महिना ध्यानाभ्यास करावयास सांगितले. त्यामुळे त्या शहरातील गुन्ह्यांचे प्रमाण ५०टक्क्यांनी कमी झाले. शास्त्रज्ञाना याचे कारण कळले नाही म्हणुन त्यांनी याला "महर्षी इफेक्ट" असे नाव दिले.ध्यानामधील ही ताकद आहे.
आपण आपली भौतिक तसेच अध्यात्मिक प्रगती ध्यानामुळे कमी श्रमात साधु शकतो. गरज आहे ती फक्त ध्यानातून स्वत:चा शोध घेण्याची