Sunday, 27 August 2017

गणेश चालीसा

Ganesh Chalisa | श्री गणेश चालीसा June 3, 2017 Admin Ganesh Chalisa (श्री गणेश चालीसा) in Hindi ।।दोहा।। जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल । विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ।।  ।।चौपाई।। जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभः काजू ।। जै गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायका बुद्धि विधाता ।। वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ।। राजत मणि मुक्तन उर माला । स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ।। पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।। सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ।। धनि शिव सुवन षडानन भ्राता । गौरी लालन विश्व-विख्याता ।। ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे । मुषक वाहन सोहत द्वारे ।। कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी । अति शुची पावन मंगलकारी ।। एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ।।  भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ।। अतिथि जानी के गौरी सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ।। अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ।। मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला । बिना गर्भ धारण यहि काला ।। गणनायक गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम रूप भगवाना ।। अस कही अन्तर्धान रूप हवै । पालना पर बालक स्वरूप हवै ।। बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ।। सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ।। शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ।। लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ।। निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ।। गिरिजा कछु मन भेद बढायो । उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ।। कहत लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ।। नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहयऊ ।। पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा । बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ।। गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी । सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ।। हाहाकार मच्यौ कैलाशा । शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ।। तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटी चक्र सो गज सिर लाये ।। बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ।। नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ।। बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ।। चले षडानन, भरमि भुलाई । रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ।। चरण मातु-पितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ।। धनि गणेश कही शिव हिये हरषे । नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ।। तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ।। मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ।। भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ।। अब प्रभु दया दीना पर कीजै । अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ।। ।।दोहा।। श्री गणेशा यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान । नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ।। सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश । पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश ।। Ganesh Chalisa in English

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