Sunday, 26 June 2016

जय शिव ओंकारा स्वामी हर शिव ओंकारा l

ॐ जय शिव औंकारा, स्वामी हर शिव औंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ॥ जय शिव औंकारा ॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे स्वामी पंचानन राजे । हंसासन गरुड़ासन वृष वाहन साजे ॥ जय शिव औंकारा ॥ दो भुज चारु चतुर्भुज दस भुज से सोहे स्वामी दस भुज से सोहे । तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ जय शिव औंकारा ॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी स्वामि मुण्डमाला धारी । चंदन मृग मद सोहे भाले शशि धारी ॥ जय शिव औंकारा ॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगे स्वामी बाघाम्बर अंगे । सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ॥ जय शिव औंकारा ॥ कर में श्रेष्ठ कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता स्वामी चक्र त्रिशूल धरता । जगकर्ता जगहर्ता जग पालन कर्ता ॥ जय शिव औंकारा ॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका स्वामि जानत अविवेका । प्रणवाक्षर में शोभित यह तीनों एका । जय शिव औंकारा ॥ निर्गुण शिव की आरती जो कोई नर गावे स्वामि जो कोई नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी मन वाँछित फल पावे । जय शिव औंकारा ॥

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