Tuesday, 2 February 2016
हनुमान जी के बारह नामो का उपाय
हनुमानजी के 12 चमत्कारी नामों का ये उपाय
कलियुग में हनुमानजी बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। सामान्य पूजन और सरल उपायों से भी बजरंग बली की कृपा प्राप्त हो जाती है। इसी कारण विशेष रूप से हर मंगलवार और हर शनिवार को हनुमानजी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। पवनपुत्र की नियमित आराधना से कुंडली के सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। शनि की साढ़ेसाती और ढय्या में भी लाभ मिलता है, यदि कोई व्यक्ति मंगली हो तो उसके लिए भी हनुमानजी की पूजा श्रेष्ठ उपाय है।
यहां जानिए एक ऐसा उपाय जो सभी 12 राशि के लोग कर सकते हैं और यह उपाय बहुत ही सरल भी है। शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी के बारह चमत्कारी नाम बताए गए हैं। इन नामों के जप मात्र से कठिन समय में भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। वैसे तो हनुमान चालीसा का जप भी किया जा सकता है, लेकिन यहां बताए जा रहे हनुमानजी के बारह नाम भी चमत्कारी रूप से सकारात्मक फल प्रदान करते हैं।
हनुमानजी के बारह नामों की स्तुति इस प्रकार है...
हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भेवत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
इस स्तुति में हनुमान के बारह नाम बताए गए हैं। यह स्तुति आनन्दरामायण में दी गई है। यह बहुत ही चमत्कारी स्तुति है और यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से इस स्तुति का जप करता है, उसकी सभी परेशानयिां दूर हो जाती हैं।
आगे जानिए इस स्तुति का अर्थ और स्तुति में दिए गए सभी बारह नाम। यदि इस श्लोक का जप नहीं करना चाहते हैं तो आगे दिए सभी बारह नामों का जप भी कर सकते हैं।
श्लोक की शुरुआत में ही पहला नाम दिया गया है हनुमान, दूसरा नाम है अंजनीसूनु, तीसरा नाम है वायुपुत्र, चौथा नाम है महाबल, पांचवां नाम है रामेष्ट यानी श्रीराम के प्रिय, छठा नाम है फाल्गुनसुख यानी अर्जुन के मित्र, सातवां नाम है पिङ्गाक्ष यानी भूरे नेत्रवाले, आठवां नाम है अमितविक्रम, नवां नाम है उदधिक्रमण यानी समुद्र को अतिक्रमण करने वाले, दसवां नाम है सीताशोकविनाशन यानी सीताजी के शोक का नाश करने वाले, ग्याहरवां नाम है लक्ष्मणप्राणदाता यानी लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले और बाहरवां नाम है दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के घमंड को दूर करने वाले।
ये सभी बारह नाम हनुमानजी के गुणों को भी प्रकट करते हैं। इन नामों में श्रीराम और सीता के लिए की गई सेवा का स्मरण हो जाता है। इसी वजह से इन नामों के जप से बजरंग बली बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं।
यदि किसी व्यक्ति के जीवन में कठिन समय चल रहा है, कुंडली में किसी प्रकार का ग्रह दोष है, कार्यों में सफलता नहीं मिल पा रही है, घर-परिवार में सुख-शांति नहीं है या किसी प्रकार का भय सता रहा है, बुरे सपने आते हैं, विचारों की पवित्रता भंग हो गई है तो यहां दिए गए हनुमानजी बारह नामों का जप करना चाहिए। रोज रात को सोने से पहले पूरी एकाग्रता और श्रद्धा के साथ हनुमानजी इन बारह नाम का जप करें।
यदि आप चाहें तो इन नामों का जप सुबह-सुबह भी किया जा सकता है। किसी शुभ काम को प्रारंभ करने से पहले भी इन नामों का जप किया जा सकता है। हनुमानजी की कृपा से आपके सभी काम पूर्ण हो जाएंगे और बाधाएं दूर हो जाएंगी। यह उपाय पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाएगा तो जल्दी ही शुभ फल प्राप्त होंगे।
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