Monday, 15 February 2016

आशिकी - साँसों की जरुरत हो कैसे

साँसों की ज़रूरत है जैसे जिंदगी के लिए बस एक सनम चाहिए आशिकी के लिए जाम की ज़रूरत है जैसे बेखुदी के लिए हा एक सनम चाहिए आशिकी के लिए बस एक सनम चाहिए आशिकी के लिए वक्त के हाथों मे सब की तकदीरें हैं आईना झूठा है, सच्ची तसवीरे हैं जहाँ दर्द है, वही गीत है जहाँ प्यास है, वही मीत है कोई ना जाने मगर, जीने की यही रीत है साज़ की ज़रूरत है जैसे मौसकी के लिए बस एक सनम चाहिए आशिकी के लिए मंजिले हासिल हैं, फिर भी एक दूरी है बिना हमराही के जिंदगी अधूरी है मिलेगी कही कोई रहगुजर तनहा कटेगा कैसे ये सफ़र मेरे सपने हो जहाँ, ढूंढू मैं ऐसी नज़र चाँद की ज़रूरत हैं जैसे चाँदनी के लिए बस एक सनम चाहिए आशिकी के लिए

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