Friday, 5 February 2016
बारह ज्योतिर्लिंग स्थान
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्॥1॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रात: पठेन्नर:।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥
1, सौराष्ट्र में सोमनाथ :- काठियावाड के प्रभाष क्षेत्र में विराजमान हैं। दक्ष के श्राप से चंद्रमा को क्षय रोग से मुक्त करने के लिए यहां प्रगट हुए थे।
राजेश मिश्रा, রাজেশ মিশ্রা
RAJESH MISHRAKOLKTA, W.BENGAL
2, श्री शैल :- नारदजी के भ्रमित करने से नाराज, अपने पुत्र कार्तिकेय को, मनाने के लिए, दक्षिण भारत में मल्लिकार्जुन के रूप में प्रगट हुए थे।
3, महाकालेश्वर :- दूषण नामक दैत्य द्वारा अवन्तीनगर (उज्जैन) पर आक्रमण करने पर काल रूप में भगवान शिव ने सारे दैत्यों का नाश कर जहां से उजागर हुए थे उसी गड्ढे में अपना स्थान बना लिया।
4, ओंकारेश्वर :- मध्य प्रदेश के मांन्धाता पर्वत पर नर्मदा नदी के उद्गम स्थल पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश हो, वरदान देने हेतु, यहां प्रगट हुए थे।
5, केदारेश्वर :- हिमालय के केदार नामक स्थान पर विराजमान हैं। यह स्थान हरिद्वार से 150मील दूर है। विष्णुजी के अवतार नर-नारायण की प्रार्थना पर यहां स्थान ग्रहण किया था।
6, भीमशंकर :- यह स्थान मुंबाई से 60मील दूर है। यहां कुंभकर्ण के पुत्र भीम का वध करने के लिये अवतरित हुए थे।
7, विश्वेश्वर :- विश्वेश्वर महादेव काशी में विराजमान हैं। प्रभू ने माँ पार्वती को बताया कि मनुष्यों के कल्याण के लिये उन्होंने इस जगह पर निवास किया है।
8, त्र्यम्बकेश्वर :- महाराष्ट्र में नासिक रोड स्टेशन से 25किमी की दूरी पर स्थित हैं। गौतम ऋषी और उनकी पत्नी अहिल्या की तपस्या से प्रसन्न हो कर यहां विराजमान हुए थे।
9, वैद्यनाथेश्वर :- झारखण्ड (पहले बिहार) में वैद्यनाथधाम में विराजमान हैं। रावण को लंका ले जाकर स्थापित करने के लिए शिवजी ने एक शिवलिंग दिया था, जिससे वह अजेय हो जाता। पर विष्णुजी ने उसको अजेय ना होने देने के कारण शिवलिंग को यहां स्थापित करवा लिया था।
10, नागेश्वर :- द्वारका के समीप दारुकावन मेँ स्थित हैं। यहां शिवजी तथा पार्वतीजी की पूजा नागेश्वर और नागेश्वारी के रूप में होती है।
11, रामेश्वर :- दक्षिण भारत के समुंद्र तट पर पाम्बन स्थान के निकट स्थित है। लंकाविजय के समय भगवान राम ने इनकी स्थापना की थी।
12, घुश्मेश्वर :- महाराष्ट्र के मनमाड से 100किमी दूर दौलताबाद स्टेशन से 20किमी की दूरी पर वेरुल गांव में स्थित हैं। घुश्मा नाम की अपनी भक्त की पूजा से प्रसन्न हो कर यहां प्रगट हुए और घुश्मेश्वर कहलाये।
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