Thursday, 14 April 2016

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन - श्रीराम स्तुति

बोलो सीता राम दरबार की जय. श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं, नवकंज लोचन, कंजमुख कर, कंज पद कंजारुणं. कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरम, पट पीत मानहु तडित रूचि-शुची नौमी, जनक सुतावरं. भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंष निकन्दनं, रघुनंद आनंद कंद कोशल चन्द्र दशरथ नंदनम. सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभुशनम, आजानुभुज शर चाप-धर, संग्राम-जित-खर दूषणं. इति वदति तुलसीदास, शंकर शेष मुनि-मन-रंजनं, मम ह्रदय कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनं. एही भांति गोरी असीस सुनी सिय सहित हिं हरषीं अली, तुलसी भावानिः पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मंदिर चली. जानी गौरी अनूकोल, सिया हिय हिं हरषीं अली, मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे. बोल सीता राम दरबार की जय. बोल सिया वर राम चन्द्र की जय. पवन सुत हनुमान की जय.

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