Thursday, 14 April 2016

हनुमान स्तुति - अतुलजी बलधामं हिंदी अर्थ

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ग्यानिनामग्रग्ण्यं सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि अनुवाद- अतुल बल के धाम,सोने के पर्वत (सुमेरू) के समान कांतियुक्त शरीरवाले, दैत्यरूपी वन (को ध्वंस करने) के लिये अग्निरूप, ग्यानियो मे अग्रगण्य, संपूर्ण गुणो के निधान, वानरो के स्वामी, श्रीरघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्रीहनुमानजी को मै प्रणाम करता हू. दोहा श्री गुरु चरण सरोज रज , निज मनु मुकुर सुधारि | बरनउँ रघुबर बिमल जासु , जो दायकु फल चारि || अनुवाद- श्रीगुरूदेव के चरण-कमलो की धूलि से अपने मनरूपी दर्पण को निर्मल करके मै श्रीरघुबर के उस सुंदर यश का वर्णन करता हू जो चारो फल (धर्म,अर्थ,काम और मोक्छ) को प्रदान करने वाला है. बुद्दिहीन तनु जानके , सुमिरौ पवन -कुमार | बल बुद्धि विद्या देहु मोहि , हरहु कलेस विकार || अनुवाद- हे पवनकुमार ! मै अपने को बुद्धिहीन जानकर आपका स्मरण (ध्यान) कर रहा हू. आप मुझे बल-बुद्धि और विदया प्रदान करके मेरे समस्त कष्टों और दोषों को दूर करने की कृपा कीजिये. चौपाई

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