Monday, 18 April 2016
मधुर भजन कृष्णा गणेश हनुमान श्रीलक्ष्मी का
विरह व्यथा
श्री कृष्णचन्द्र मथुरा को गये, गोकुल को आयबो छोड़ दियो
तब से ब्रज की बालाओं ने, पनघट को जायबो छोड़ दियो
सब लता पता भी सूख गये, कालिंदी किनारो छोड़ दियो
वहाँ मेवा भोग लगावत हैं, माखन को खायबो छोड़ दियो
ये बीन पखावज धरी रहैं, मुरली को बजायबो छोड़ दियो
वहाँ कुब्जा संग विहार करें, राधा-गुन गायबो छोड़ दियो
वे कंस को मार भये राजा, गउअन को चरायबो छोड़ दियो
‘सूर’ श्याम प्रभु निठुर भये, हँसिबो इठलाइबो छोड़ दियो
December 15, 2014All, Bhajan, Krishna, SurdasChandra, Gaye, Ko, Krishna, Mathura, ShriLeave a comment
Shri Mahalakshmi Jag Janani Ka
श्रीमहालक्ष्मी स्तवन
श्री महालक्ष्मी जगजननी का, हम श्रद्धापूर्वक करें ध्यान
जिनका है वर्ण स्वर्ण जैसा, उनकी महिमा का करें गान
सद्भाव, अतिथि की सेवा हो, सत्कर्म जहाँ नित होता हो
देवार्चन-प्रेम भाव मन का, आवास वहीं हो माता का
माँ को अति प्रिय है शील सत्य, सत्संग कीर्तन जहाँ नित्य
जहाँ प्राणि-मात्र प्रति प्रेम भाव, वहाँ धन का नहीं होगा अभाव
जहाँ भोग, क्रूरता और क्लेश, दारिद्य वहाँ करता प्रवेश
व्यवहार कपट अरु वचन झूठ, महालक्ष्मी जाती वहाँ रूठ
सबके प्रति करुणा हो मन में, आस्तिकता श्रद्धा हो प्रभु में
करुणामयी मैया कृपा करो, कालुष्य हृदय का आप हरो
December 15, 2014Bhajan, DEEPAWALI, Lakshmi, UnknownJag, Janani, Ka, Mahalakshmi, ShriLeave a comment
Omkar Rup Shri Gajanan
श्री गणपति वन्दन
ओंकार (ॐ) रूप श्री गजानन, प्रत्यक्ष तत्व ब्रह्म स्वरूप
कर्ता, धर्ता एवं हर्ता, भगवान् आपके कर्इं रूप
तीनों गुण से हो परे आप, योगीजन जिनका ध्यान धरें
प्रभु वक्र-तुण्ड लम्बोदर हैं, जो सुमिरें उनका विघ्न टरें
‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र, जो जपे कामना सिद्ध करें
जो लाल पुष्प द्वारा पूजे, उनके गणपति सब कष्ट हरें
नित अथर्वशीर्ष का पाठ करे, सर्वत्र सदा ही सुख जाये
लड्डू हजार से यजन करे, मन-वांछित वह फल पाये
December 15, 2014Bhajan, Ganesh, Ganesh chaturthi, UnknownGajanan, Omkar, Rup, ShriLeave a comment
Aarti Shri Bhagwad Gita Ki
श्रीमद्भगवद्गीता आरती
आरती श्री भगवद्गीता की, श्री हरि-मुख निःसृत विद्या की
पृथा-पुत्र को हेतु बनाकर, योगेश्वर उपदेश सुनाये
अनासक्ति अरु कर्म-कुशलता, भक्ति, ज्ञान का पाठ पढ़ाये
करें कर्म-फल प्रभु को अर्पण, राग-द्वेष मद मोह नसाये
वेद उपनिषद् का उत्तम रस, साधु-संत-जन के मन भाये
करें सार्थक मानव जीवन, भव-बंधन, अज्ञान मिटायें
अद्भुत, गुह्य, पूजनीय गाथा, मानव जीवन सफल बनाये
December 15, 2014All, Arti, Bhagwad-Geeta, UnknownAarti, Bhagwad, Gita, Ki, ShriLeave a comment
Bhajo Re Man Shri Radha Govind
नाम स्मरण
भजो रे मन श्री राधा गोविंद
जन-मन को निज-धन-मनमोहन, पूरन परमानंद
जीवन के जीवन वे तेरे, तू चकोर वे चन्द
कैसे तिनहिं बिसारि भयो तूँ, मोह मुग्ध मतिमन्द
चेत-चेत रे अब तो मूरख, छोड़ सबहिं छल-छन्द
सब तज भज मोहन को प्यारे, यहीं पंथ निर्द्वंद
December 15, 2014All, Bhajan, Radha-Krishna, UnknownBhajo, Govind, Man, Radha, Re, ShriLeave a comment
Shri Radhe Rani De Daro Ni Bansuri Mori
बंसी
राधे रानी दे डारो नी बाँसुरी मोरी
जो बंशी में मोरे प्राण बसत है, सो बंशी गई चोरी
काहे से गाऊँ प्यारी काहे से बजाऊँ, काहे से लाऊँ गैया घेरी
मुखड़ा से गाओ कान्हा हाथ से बजाओ, लकुटी से लाओ गैया घेरी
हा हा करत तेरी पइयाँ पड़त हूँ, तरस खाओ री प्यारी मोरी
‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, बहुत खिझाई राधा गोरी
December 15, 2014All, Bhajan, Krishna, MeeraBansuri, Daro, De, Mori, Ni, Radhe, Rani, ShriLeave a comment
Shri Radha Nam Madhur Anmol
राधा नाम अनमोल
श्री राधा नाम मधुर अनमोल
नाम सुखद राधा प्यारी को, मुँह में मिश्री घोल
सुख सरिता श्री राधा स्वामिनि, दर्शन कर सुख पाऊँ
अंग अंग अनुराग श्याम का, चरणों में सिर नाऊँ
दो अक्षर राधा रानी के, हिय में इन्हें बसाऊँ
सोच विचार और सब त्यागूँ, राधा के गुण गाऊँ
December 15, 2014All, Bhajan, Radha, UnknownAnmol, Madhur, Nam, Radha, ShriLeave a comment
Kapiraj Shri Hanuman Ka
श्री हनुमान
कपिराज श्री हनुमान का है वर्ण सम सिन्दूर के
ललाट पर केशर तिलक, हाथों में वज्र ध्वजा गही
अनुराग भारी झलकता, दो नयन से महावीर के
गल-माल तुलसी की ललित, मुस्कान मुख पे खिल रही
वे ध्यान में डूबे हुए, रघुकुल-तिलक श्री राम के
पुलकायमान शरीर है, अद्भुत छटा है छा रही
वे पर-ब्रह्म स्वरूप हैं, सेवक बड़े श्री राम के
महादेव के जो पुत्र हैं, संकट मेरे हर ले वही
December 15, 2014Bhajan, Hanuman, Hanuman Jayanti, UnknownHanuman, Ka, Kapiraj, ShriLeave a comment
Aarti Shri Ramcharit Manas Ki
श्री रामचरित मानस- रामायण आरती
आरती रामचरित मानस की, रचना पावन चरित राम की
निगमागम का सार इसी में, वाल्मीकि ऋषि, तुलसी गाये
रामचरितमानस रामायण, निश्चल-भक्ति सुधा बरसाये
पति-व्रत, बन्धु-प्रेम, मर्यादा, माँ सीता का चरित सुहाये
आज्ञापालन, राज-धर्म, त्यागी जीवन आदर्श बताये
साधु-संत प्रिय, कलिमलहारी, दुःख शोक अज्ञान मिटाये
श्रद्धा-युत हो श्रवण करे जो, कहें सुने भव-ताप नसाये
December 15, 2014All, Arti, Ramcharit-Manas, UnknownAarti, Ki, Manas, Ramcharit, ShriLeave a comment
Mat Yashoda Shri Ganesh Ki
श्री गणेश-श्री कृष्ण
मात यशोदा श्री गणेश की पूजा करने को आई
मोदक भर कर थाल सजाया, कान्हा को सँग में लाई
नटवर की नटखट चालों की, याद उन्हें जैसे आई
विघ्न न पूजा में हो जाये, शंका मन में जब आई
तभी कन्हैया को खम्भे से, डोरी से जो बाँध दिया
फिर विघ्नेश्वर की पूजा में, निश्चित हो कर ध्यान किया
श्रीगणेश ने आँखे खोली, श्रीहरि को प्रणाम किया
और सूँड से मोदक लेकर, उनके मुख में डाल दिया
मात यशोदा ने देखा तो, मति उनकी चकराई है
फिर तो अपनी चतुराई पर, बार बार पछताई है
December 15, 2014Bhajan, Ganesh, Ganesh chaturthi, UnknownGanesh, Ki, Mat, Shri, YashodaLeave a comment
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