Tuesday, 5 December 2017

मेरी छोटी सी है नाव, तेरे जादू भरे पाँव राम

मेरी छोटी सी है नाव, तेरे जादू भरे पॉंव, डर लागे मोहे राम, कैसे बिठाऊँ तुम्हें नॉंव में ।। टेर ।। जब पत्थर से बन गई नारी, ये तो लकडी की नाव हमारी, करूँ यही रुजगार, पालूँ निज परिवार, सुनो सुनो जी दातार ।। कैसे बिठाऊँ ।। एक बात मानो तो बैठा लूँ, तेरे चरणों की धूल धुवाऊँ, यदि तुमको हो मंजुर, बात मेरी ये हुजुर, मेरा होय अंदेशा दूर ।। कैसे बिठाऊँ ।। केवट चरणों को धोये, पाप जन्म जनम के धोये, होके बडे परसन, किये राम दरशन, संग सिया लक्ष्मण ।। कैसे बिठाऊँ ।। चरणामृत सबको पिलाऊँ, फल फूल मैं भेंट चढाऊँ, ऐसा समय बार बार, नहीं आता सरकार, सुनो सुनो प्राणाधार ।। कैसे बिठाऊँ ।। धीरे धीरे से नाव चलाता,वो तो गीत खुशी के गाता, कहता मन में यही बात, हो न जाए कॅंही रात, सूरज सुन लो मेरी बात ।।कैसे बिठाऊँ।। ले लो मल्लाह ये उतराई,मेरे पल्ले कछु नहीं पाई, ये तो कर लो स्वीकार, तेरा होगा बेडा पार, होगी जग में जय जयकार ।।कैसे बिठाऊँ।। जैसे तुम खेवटिया, वैसे हम है, भाई भाई से लेना शरम है, हमनें किया नदी पार, करना तुम भवसागर पार, परमानन्द की पुकार ।। कैसे बिठाऊँ ।

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