Monday, 12 December 2016

तेरे नाम का सुमिरन कर के मेरे मन में सुख भर आया l

तेरे नाम का सुमिरन करके मेरे मन मे सुख भर आया l
तेरी कृपा को मैंने पाया, तेरी दया को मैंने पाया ll धृ ll

दुनिया की ठोकर खा कर ,जब हुआ कभी बेसहारा l
ना पाकर अपना कोई, जब मैंने तुम्हे पुकारा l
हे नाथ मेरे सिर ऊपर ,तुने अमृत बरसाया  ll1ll

तू संग में था नित मेरे , ये नैना देख ना पाये l
चंचल माया के रंग में ,ये नैन रहे उलझाये l
जितनी भी बार गिरा हूँ, तुने पग पग मुझे उठाया ll2ll

भवसागर कि लहरों में, भटकी जब मेरी नैया l
तट छूना भी मुश्किल था, नहीं दिखा कोई खिवैया l
तू लहर बना सागर की मेरी नाव किनारे लाया ll3ll

तुने ज्ञान कि ज्योत लागा दी, अज्ञान दूर किया मेरा l
जब मिला सहारा मेरा, छुटा जनम मरण का फेरा l
तेरे चरणो में सत्गुरूजी, मैंने मोक्ष धाम को पाया ll4ll

तेरे नाम का सुमिरन करके ,  मेरे मन में सुख भर आया l
तेरी कृपा को मैंने पाया, तेरी दया को मैंने पाया ll

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