Sunday, 13 September 2015

जय श्री राम जय हनुमान -हनुमंत से बोली माता

पर्बत लेकर लौट रहे हैं,मिल गई अंजनी मात
हनुमंतने माता को सभी बता दीये हालात
मेघनाथ ने शक्ती मारी ,लक्ष्मण जी बेहोश है
सुनकर अंजनी माता को आया बहुत ही क्रोध है ll
हनुमंत से बोली वो माता ,क्यूं मुझे मुख दिखाया है।
तु वो मेरा लाल नही हैं ,जिसे मैने दुध पिलाया हैं ll

मैने ऐसा दुध पिलाया तुमको क्या बतलाऊ मैं
पर्बत के टुकड़े हो जाये धार अगर दे जाऊ मैं
मेरे ही कोख से जनम लिया,तूने मेरा दूध जलाया हैं
तु वो मेरा लाल नही है ,जिसे मैने दुध पिलाया है ll

भेजा था श्रीराम के संग में करना उनकी रखवाली
लक्ष्मण शक्ति खाके पड़ा हैं ,रावण ने सीता हर ली
माँ का सिर कभी ना उठेगा ,ऐसा सिर लजाया हैं
तू वो मेरा लाल नही हैं ,जिसे मैंने दूध पिलाया हैं  ll

छोटीसी एक लंका जला अपने मन में गर्वाया
रावण कॉ जिंदा छोड़ा और सीता साथ नहीँ लाया
कभी ना मुझको मुख दीखलाना ,माँने हुकुम चलाया हैं
तू वो मेरा लाल नहीँ हैं ,जिसे मैंने दूध पिलाया हैं ll

हाथ जोड़कर बोले हनुमंत ,इस मे दोष नहीं मेरा
श्री राम का हुकुम यहीं था ,माँ विश्वास करो मेरा
मैने व्ही किया है जो ,श्री रामने मुझको बताया है
मैं ही तेरा लाल हूँ मैया ,जिसे तूने दुध पिलाया है  ll

अंजनी माँ का क्रोध देखकर प्रकटे हैं मेरे श्रीराम
धन्य धन्य हैं माता तुमको बोले मेरे भगवान
दोष नहीँ है हनुमंत का इसमें ये सब मेरी माया है
हनुमंत तेरा लाल है माता ,जिसे तूने दुध पिलाया है ll

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