Thursday, 25 January 2018

रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष

*रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्॥*

*हे गणाध्यक्ष रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिये । हे तीनों लोकों के रक्षक! रक्षा कीजिए; आप भक्तों को अभय प्रदान करनेवाले हैं, भवसागर से मेरी रक्षा कीजिये ।*

*केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानिं। सृणिं वहन्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम्॥*

*मैं उन भगवान् गणपतिकी वन्दना करता हूँ जो केयूर-हार-किरीट आदि आभूषणों से सुसज्जित हैं, चतुर्भुज हैं और अपने चार हाथों में पाशा अंकुश-वर और अभय मुद्रा को धारण करते हैं, जो तीन नेत्रों वाले हैं।*

*प्रथम पुज्य भगवान गणपति का आशीर्वाद आप पर व आपके परिवार पर हमेशा बना रहे।*

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