Friday, 26 January 2018

तुझमे ओम मुझमे ओम सबमे ओम समाया

तुझमें ॐ मुझमें ॐ सबमें ॐ समाया। 
सबसे करलो प्यार जगत में कोई नहीं पराया॥ 

जितने है संसार में प्राणी सबमें एक ही ज्योति।

एक बाग के फूल हैं सारे एक माला के मोती॥ 
फिर न जाने किस मूरख ने, लड़ना हमें सिखाया। 
तुझमें ॐ मुझमें ॐ...........॥ 

एक पिता के बच्चे हैं हम एक हमारी माता।

दाना पानी देने वाला एक हमारा दाता॥ 
एक ही कारीगर ने हमको एक मिट्टी से बनाया। 
तुझमें ॐ मुझमें ॐ...........॥ 

ऊँच- नीच की, भेद- भाव की, दीवारों को तोड़ो।

बदलो आप तो, बदले ज़माना, बुरी आदतें छोड़ो॥ 
जागो और जगाओ सबको समय सुहाना आया। 
तुझमें ॐ मुझमें ॐ...........॥ 

मुक्तक-

ॐ जगत का सृजन करता, ॐ जगत का पालनहार।

ॐ शब्द में विश्व समाया, करे ॐ सबका उद्धार॥ 

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