खुप छान स्तोत्र आहे.
गरुडगमन तव चरणकमलमिह
मनसि लसतु मम नित्यम्
मनसि लसतु मम नित्यम् ॥
मम तापमपाकुरु देव
मम पापमपाकुरु देव ॥
1. जलजनयन विधिनमुचिहरणमुख
विबुधविनुत-पदपद्म -2
मम तापमपाकुरु देव
मम पापमपाकुरु देव ॥
2. भुजगशयन भव मदनजनक मम
जननमरण-भयहारी -2
मम तापमपाकुरु देव
मम पापमपाकुरु देव ॥
3. शङ्खचक्रधर दुष्टदैत्यहर
सर्वलोक-शरण -2
मम तापमपाकुरु देव
मम पापमपाकुरु देव ॥
4. अगणित-गुणगण अशरणशरणद
विदलित-सुररिपुजाल -2
मम तापमपाकुरु देव
मम पापमपाकुरु देव ॥
5. भक्तवर्यमिह भूरिकरुणया
पाहि भारतीतीर्थम्-2
मम तापमपाकुरु देव
मम पापमपाकुरु देव ॥
।।श्री स्वामी समर्थ श्री गुरुदेव दत्त श्री विष्णु भगवान की जय चरण स्पर्श।।श्री स्वामी सेवक अजय जोशी
Tuesday, 27 November 2018
विष्णू स्तोत्र
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