Sunday, 16 October 2016

हनुमान स्तुती

श्री हनुमान स्तुति manoj charan कुमार मनोज चारण 25/08/2014 1 Comment जय-जय-जय हनुमंत हठीले, जय-जय-जय कपिसुत रंगीले। जय-जय-जय कपिसुत हनुमंता, जय-जय-जय रावणसुत हंता।। हे हनुमान महान हितकारी, एक हाथ से लंकनी मारी। एक कूद में कूदे सागर, एक बार में लंक प्रजारी।। निगले सूरज खेल ही खेला, आप बने सूरज के चेला। तुमही अशोक बाटिका उजारी, हरे सियाजी के भय भारी।। लखन-लाल जब मूर्छा पाये, धरणीधर को तुमही उठाए। जाय सौ जोजन गिरि ले आए, कालनेमी को मार गिराए।। राम नाम से हृदय प्रकाशा, करही सियापति उर में बासा। चीर के छाती राम दिखाये, तुलसीदासजी ने जस गाये।। प्रसन्न हुए तुलसी पे कृपाला, ध्याऊँ तुमको बजरंगबाला। नाथ सनाथ कियो तुलसी को, मगन मोद तनय हुलसी को।। अहिरावण की कीन्ही पिटाई, तुमही बचाए दोनों भाई। निज सुत संग तुम कीन्ह लराई, केहि बिधी करूँ तोरी बड़ाई।। हे हनुमंत काम बड़ तोरे, केहि बिधी कथूँ शब्द हैं थोरे। नाथ नाचीज ये मनुज हनुमंता, करो कृपा मो पर भगवन्ता।। राम-राम मैं राम रटूँ,दो मुझको वरदान। शिव-शक्ति रहे साथ मेरे, दो अभय का दान॥ मनोज चारण

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