Monday, 14 November 2016

ओ मांझी रे अपना किनारा


ओ मांझी रे, अपना किनारा, नदिया की धारा है ओ मांझी रे ... साहिलों पे बहने वाले कभी सुना तो होगा कहीं, ओ ... हो, कागज़ों की कश्तियों का कहीं किनारा होता नहीं हो मांझी रे ... मांझी रे कोई किनारा जो किनारे से मिले वो, अपना किनारा है ... ओ मांझी रे ... पानियों में बह रहे हैं कई किनारे टूटे हुए ओ ... हो, रास्तों में मिल गए हैं सभी सहारे छूटे हुए ... कोइ सहारा मझधारे में मिले वो, अपना सहारा है ... ओ मांझी रे, अपना किनारा, नदिया की धारा है ओ मांझी रे ...

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