Saturday, 13 August 2016
क्रोध को जितने तकिया पिटे
क्रोध को जीतने तकिया पीटे
अगस्त 20, 2010 by jayantijain 9 टिप्पणियाँ
अपने क्रोध को मिटाने के लिए जब भी आपको क्रोध आए तो किसी व्यक्ति पर क्रोधित होने की कोई जरूरत नही हैं। आप अपने क्रोध को एक ध्यान बना लें। अपना कमरा बंद कर लें, अकेले बैठ जांए और जितना क्रोध मन में आए, आने दें। यदि मारने-पीटने का भाव आए तो तकिए को मारें-पीटें। जो करना हो, तकिए के साथ करें, वह कभी मना नहीं करेगा। यदि तकिए का मार डालना चाहें तो एक चाकू लें और तकिए को जोर जोर से मारे। आप अपने हाथ पांव से जैसे मन हो वैसे मारे।
यह सब मदद करता है, बहुत गहरी मदद करता है। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि एक तकिया इतना सहायक हो सकता है। तकिए को पीटें, काटें, फेंकें। यदि किसी व्यक्ति विशेष के प्रति मन में कोई दुर्भाव हो तो उस व्यक्ति का नाम तकिए पर लिख लें या उसका चित्र तकिए पर चिपका लें।
यह बात बड़ी बेतुकी, मूर्खतापूर्ण लगेगी। लेकिन क्रोध ही बेतुका है, उसके लिए कुछ किया नहीं जा सकता। तो क्रोध को होने दें और ऊर्जा की एक घटना के रूप में उसका आंनद लें। वह ऊर्जा का ही एक रूप है। यदि हम किसी कोे पीड़ा नहीं दे रहे तो इसमें कुछ बुराई नहीं है। थोड़े दिन इस विधि का प्रयोग करेंगे तोे आप पाएंगे कि किसी को पीड़ा देने का भाव धीरे-धीरे विलीन हो गया है।
इसे रोज का एक ध्यान बना लें-रोज सुबह केवल बीस मिनट इसे करें। और फिर पूूरे दिन आप देखेंगे कि आप शांत होने लगे, क्योंकि जो ऊर्जा क्रोध बन रही थी, वह बाहर फंेक दी गई। इसे कम से कम तीन सप्ताह तक करें। और एक सप्ताह बाद ही आप यह देख कर हैरान होंगे कि किसी भी परिस्थिति में क्रोध नहीं आ रहा है। बस एक बार इसका प्रयोग करके देखें। इस प्रयोग को करने से आप के जीवन से क्रोध समाप्त हो जाएंगा।
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