श्री श्री रविशंकर जी
भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा ।
Story of Lord Krishna's Birth in Hindi
कृष्ण जन्म की कहानी के भी गहरे अर्थ है। देवकी शरीर का प्रतीक है और वासुदेव जीवन शक्ति (प्राण) का प्रतीक है। जब प्राण शरीर में उगता है, आनंद (कृष्ण) पैदा होता है। लेकिन अहंकार (कंस) आनंद को खत्म करने का प्रयास करता है। देवकी का भाई कंस जो दर्शाता है कि शरीर के साथ अहंकार का जन्म होता है। एक व्यक्ति जो खुश और आनंदमय है वह किसी के लिए कभी मुसीबत पैदा नहीं करता। एक व्यक्ति जो दुखी है और भावनात्मक रूप से घायल हो वह दूसरों को घायल करता या अवरोध खड़ा करता है। । हमारे साथ अन्याय हुआ है ऐसा जिसे भी लगता हे वह दूसरों के साथ अपने घायल अहंकार के वजह से अन्यायपूर्वक बर्ताव करता है।
अहंकार का सबसे बडा दुश्मन आनंद है। जहाँ आनंद और प्रेम है वहां अहंकार टिक नहीं सकता और उसे झुकना ही पडता है। एक व्यक्ति समाज में एक बहुत ही उच्च स्थिति पर रह सकते हैं, लेकिन वह अपने छोटे बच्चे के सामने पिघल जाता है। जब बच्चा बीमार हो जाता है, कितना भी मजबूत व्यक्ति हो, वे थोड़ा असहाय महसूस करता है। प्रेम, सादगी और आनंद के साथ सामना होता है तो अहंकार आसानी से पिघल जाता है । कृष्ण आनंद का प्रतीक है, सादगी का सार है, और प्रेम के स्रोत का प्रतीक है।
कंस के द्वारा देवकी और वासुदेव को कारावास में डालना यह दर्शाता है कि जब अहंकार बढ जाता है तब शरीर एक जेल की तरह लगता है। जब कृष्ण का जन्म हुआ था, जेल के पहरेदार सो गये थे। यहां पहरेदार वह इन्द्रियां है जो अहंकार की रक्षा कर रही हैं क्योंकि जब वह जागता है तब यह बहिर्मुखी बनती है। जब यह इन्द्रियां अंतर्मुखी होती है तब हमारे अंदर आंतरिक आनंद अंकुरित होता है।
मक्खन चोर का अर्थ
कृष्ण मक्खन चोर के रूप में भी जाने जाते है। दूध पोषण का सार है और दूध का एक सुसंस्कृत रूप दही है। जब दही का मंथन होता है, मक्खन बनता है और ऊपर तैरता है। यह भारी नहीं हल्का और पौष्टिक है। जब हमारी बुद्धि का मंथन होता है, तब यह मक्खन की तरह हो जाती है। जब ज्ञान मन में आता है, तब वह व्यक्ति स्व के रूप में स्थापित हो जाता है। दुनिया में रहकर भी उससे असंलग्न रहता हे और उसका मन दुनियाकी बातों से / व्यवहार से निराश नहीं होता । मक्खन चोरी कृष्ण प्रेम की महिमा के चित्रण का एक प्रतीकवाद है। कृष्ण का आकर्षण और कौशल्य इतना है कि वह सबसे संयमशील व्यक्ति से भी उसका मन चुरा लेता है ।
क्यों कृष्ण के सिर पर मोर पंख है?
Significance of peacock feather on Lord Krishna's head
एक राजा पुरे समाज के लिए ज़िम्मेदार होता है और यह जिम्मेदारी बोझ बन सकती है ,जो ताज के रूप में सिर पर होती है। लेकिन कृष्ण अपनी सभी जिम्मेदारी सहजता से पुरी करते हैं, एक खेल की तरह। एक माँ को कभी नहीं लगता है उसके बच्चों की देखभाल एक बोझ है। इसी तरह, कृष्ण हल्के से अपनी जिम्मेदारी पहनते है और अपनी रंगीन भूमिकाओं को निभाते हैं अपने मुकुट पर मोर पंख की तरह।
कृष्ण हम सबके अंदर आकर्षक और आनंदमय जगह है। जब मन में कोई बेचैनी, चिंता, या इच्छा नहीं रहती तब आप गहरा आराम पा सकते हैं और गहरे आराम में ही कृष्ण का जन्म होता है।
समाज में खुशी की एक लहर लाने का यह समय है - जन्माष्टमी का संदेश यही है। गंभीरता के साथ आनंदपूर्ण बनें।
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