Saturday, 1 October 2016

श्री गणेश जी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी । माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी ॥ पान चड़ें, फूल चड़ें और चड़ें मेवा । लडुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥ अंधें को आँख देत, कोड़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ सूरश्याम शारण आए सफल कीजे सेवा | माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

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